बालगीत – पिल्ला
मोटा जी ने पिल्ला पाला।
लंबे भूरे बालों वाला।।
रोज सैर को पिल्ला जाता।
तनकर चलता शान दिखाता।
पट्टा गले पड़ा रँग वाला।
मोटा जी ने पिल्ला पाला।।
कुत्ते गली मोहल्ले वाले।
देख भौंकते भूरे काले।।
पिल्ला वह जंजीरों वाला।
मोटा जी ने पिल्ला पाला।।
बिस्कुट,ब्रेड ,दूध वह पीता।
नहलाती नित बाला नीता।।
महके साबुन वीनस वाला।
मोटा जी ने पिल्ला पाला।।
सावधान पिल्ले से रहना ।
काटे पिल्ला फिर मत कहना।
लिखा गेट पर मोटा काला।
मोटा जी ने पिल्ला पाला।।
मोटा जी के सँग में सोता।
कम्बल ही वह ओढ़े होता।।
पिल्ला है वह किस्मत वाला।
मोटा जी ने पिल्ला पाला।।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम’