सीमा का सिपाही
युद्ध अरि से लड़ने जाऊँ, सीमा का सिपाही बनकर,
तन मन न्यौछावर कर जाऊँ, सीमा का सिपाही बनकर।
एकता के यज्ञ में प्राणों की आहुति देकर,
अपने उर में देश रक्षा का दृढ़ संकल्प लेकर,
देशभक्त मैं कहलाऊँ, सीमा का सिपाही बनकर।
मात्र भूमि पर बलिहारी तन मन,
राष्ट्रगीत से करूँ भारत माँ का वंदन,
सरहद पर वीरगति पाऊँ, सीमा का सिपाही बनकर।
देशभक्ति का गान करूँ, श्वांसों की माला से,
अखण्डता का दीप भरूँ, शौर्य की ज्वाला से,
राष्ट्रहित में बलि-बलि जाऊँ, सीमा का सिपाही बनकर।
जीवन धन्य है जो वतन के काम आये,
मेरा भी देश प्रहरियों की सूची में नाम आये,
प्राण पुष्प अर्पित कर जाऊँ, सीमा का सिपाही बनकर।
यह त्रिवर्ण ध्वज सदैव लहराता रहे,
कंठ देशप्रेम के गीत यूँ ही गाता रहे,
राष्ट्र उपासक बन जाऊँ, सीमा का सिपाही बनकर।
— प्रीति चौधरी “मनोरमा”