मुक्तक/दोहा

गुरु महिमा

गुरु महिमा सबसे बड़ी, गुरु से बड़ा न कोय l
गुरु बिनु ज्ञान मिले नहीं, सो गुरु पूजन होय ll
जिनको सच्चा गुरु मिले, मिले ज्ञान की खान l
गुरु अरु माता एक सम, दोनों ईश समान ll
गुरु पद रज को शीश धर, जप लो गुरु का नाम l
बात अवध की मान लो, सुधरेंगे हर काम ll
जो कुछ सीखे हो सखे, सब गुरु का ही ज्ञान l
गुरु ही गुण की खान हैं, लो  गुरु को सब मान ll
गुरु  को  पहले  याद कर, पूजो  उनके   पाँव l
गुरु की महिमा जो मिले, मिले परम शुचि ठाँव ll
— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन