कविता

शिक्षक दिवस – मेरी मैडम

मेरी मैडम मुझको हैं प्यारी।
लगती मुझको सबसे न्यारी।।

1) ज्ञान की गंगा,
प्रेम का सागर।
भर देती हैं,
विषयों की क्यारी।।

2) अक्षर-शब्द वो,
हमें सिखाकर।
मेरी आदर्श वो,
महान नारी।।

3) कभी डाँट तो,
कभी मुस्का।
ज्ञान पुँज,
फैलाए प्यारी।।

4) अबोध मैं,
बालक नादान।
पड़ती वो,
अज्ञान पर भारी।।

5) अच्छे-बुरे का,
भेद बता।
सही-गलत,
समझाती न्यारी।।

6) बड़ी मैं हूँ,
बनना चाहती।
उनके जैसी,
सुलझी सी नारी।।

— आयुषी अग्रवाल

आयुषी अग्रवाल

स०अ० कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास कुन्दरकी (मुरादाबाद)