‘तुम मेरी ज़िंदगी का पासवर्ड हो’ शीर्षक -पुस्तक गिफ़्ट की है, मेरे ज़िन्दगी के अनन्यतम दिलरुबा -पासवर्ड ‘आशु’ जी ने ! उनसे मुलाकात के 5 वर्ष से अधिक हो गए…. हर दिन हमदोनों के बीच नए-नए अनुभव लेकर आते हैं, खट्टी भी, मीठी भी !
वे खुद शिक्षक हैं तथा अनुजतुल्य हैं…. कहानी तो विराट और काव्या की है, किन्तु किताब से-
‘सभी की ज़िंदगी में
एक ऐसा व्यक्ति होता है,
जिसके बिना ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी नहीं लगती !”
पुरानी और फ़टी-सटी जिंदगी में थोड़ी सी रफू करके तो देखिए, जिंदगी नई दिखनी लग जायेगी ! यह कहते हुए कि-
मेरे विरोध में
जितनी साजिश रचोगे;
मेरी प्रतिभा व प्रतिबद्धता
और भी आगे बढ़ती जायेगी !’
गुजरे जमाने के साथ भी हृदय से हृदय तक लिए सादर आभार, श्री आशु जी ! साभिनंदन ! इस पुस्तक के लेखक श्री सुदीप नगरकर जी है ।