कविता

शरदागम

शरदागम

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कहुँ मालति-पुष्प खिलें वन में,
      कहुँ वायु सुगंध भरे घटिका।
धरती तृण से मनहारि लगे,
       सिर ओस बढ़ावत सुंदरता।
धवला धरती सुख में विहँसे,
        चहुँओर सुगंध -सुशीतलता।
दिन घोर तपे,निशि में पसरे,
        शरदेन्दु- सुधा की विभास -लता।
 
नभमंडल में रजताभ घटा,
        कबहूँ गिरिराज समान चले।
गहिके मकरंद-सुवास हवा,
       निज को मधुपूर्ण किये निकले।
अलिवृंद प्रसून गहे कर में,
       रस-पीवन हेतु सदा मचले।
शरदातप व्याधिविनाशक ते,
       वसुधातल की विषबेलि जले।
 
हिय में भर मोद बहे सरिता,
        पय-धार धरे  मन लास भरे।
तरुपात हिले मधुराग बजे,
        मृदुसौरभ आत्मविभोर करे।
बहु पद्म सरोवर में खिलते,
        खगरोर प्रभात मिठास  धरे।
अस होत प्रतीति समस्त धरा,  
        शरदामृत-सिन्धु-विहार करे।
 
 
रचनाकार–निशेश अशोक वर्द्धन
                उपनाम–निशेश दुबे
                ग्राम-देवकुली
                डाकघर–देवकुली
                थाना -ब्रह्मपुर
                जिला–बक्सर
                 (बिहार)
                पिन कोड–802112

निशेश दुबे

रचनाकार--निशेश अशोक वर्धन उपनाम--निशेश दुबे ग्राम+पोस्ट--देवकुली थाना--ब्रह्मपुर जिला--बक्सर(बिहार) पिन कोड--802112 दूरभाष सं--8084440519