मिस्टर शिक्षा पदाधिकारी !
आप इतने हुनरमंद नहीं हो पाए हैं, जो तर्क कर सके !
क्योंकि भारत सरकार के पास ऐसे कोई प्रमाण नहीं है, जो 5 सितम्बर को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में स्थापित कर सके ! अगर हम योग्य नहीं है, तो आप भी सरकार के शिक्षा पदाधिकारी के रूप में अयोग्य हैं ! आपकी बातों से लगता है, आप आकंठ संस्कारहीन हैं । कैसे आपके माता-पिता ने संस्कार दिया है ? मेरे घर पक्के के नहीं है, न ही मेरे वाहन दुपहिए है । कभी आपने मजदूरी किया है ! मैंने किया है । शिक्षक दिवस अगर शिक्षकों के हैं, तो शिक्षकों के सम्मान के बदले सरकार के द्वारा छुट्टी रद्द की दादागिरी क्यों ? अगर शिक्षक अपने दिवस में ही स्वतंत्र नहीं है, तो काहे को शिक्षक कहलाए वे ! सरकार ने शिक्षक नाम से कई कैटेगरी कर दिया है…. वो गुरुजन्यता खत्म हो गयी है ! आप क्या वेतन नहीं लेते हैं ! आप कहाँ पदस्थापित हैं, बताए तो ? देखते हैं, कितने आरटीआई का जवाब दे पाते हैं ! शिक्षक का सम्मान देख लिया, आप किसतरह से कर रहे हैं ! अपने माँ-बाप का सम्मान भी इसी से ढंग से करते होंगे ! है न, शिक्षा पदाधिकारी !
‘पहले आप शिक्षक बने’, ये क्या है ? ये शिक्षा पदाधिकारी हमें सिखाएगा, शिक्षक बनने को !
मिस्टर शिक्षा पदाधिकारी, पहले आप खुद आदमी बनो !