साक्षरता: कुछ काव्य-रचनाएं
(विश्व साक्षरता दिवस पर विशेष)
1 .साक्षरता का सूर्य (गीत)
कैसे हो कल्याण देश का
जब विद्या का दीप न दमके
कैसे हो तम नाश कि जब तक
साक्षरता का सूर्य न चमके
साक्षरता के शुभ संबल से,
जीवन सार्थक हो सकता है,
अक्षयज्ञान-निधि से सबको,
सुदृढ़ सहारा मिल सकता है.
जिसको अक्षर-ज्ञान नहीं है,
जग का क्या कल्याण करेगा?
अपना ही हित कर नहीं पाए,
देश का क्या निर्माण करेगा?
साक्षरता का आश्रय लेकर,
नई-नई बातें सिखलाओ,
जो भूले-भटके-अज्ञानी,
उनको नई राह दिखलाओ.
केवल खुद साक्षर हो जाना,
काम नहीं है कोई महान,
औरों को भी साक्षर कर दो,
महानता की यह पहचान.
तब तक देश न उन्नत होगा,
विद्या का विश्वास न दमके,
कैसे हो उजियाला जब तक,
साक्षरता का सूर्य न चमके!
2.साक्षरता मधुसिक्त समीर (गीत)
भारत था सबका पथदर्शक, जग की आंखों का तारा।
कहलाता “सोने की चिड़िया”, आज बना केवल इक नारा॥
सत्य-अहिंसा रह गई पीछे, हिंसा की ही जीत हुई।
रिश्वतखोरी आगे बढ़ गई, भ्रष्ट देश की रीत हुई॥
जनसंख्या विस्फोट हो रहा,, बीमारी का अंत नहीं।
कितने भी साधन बढ़ जाएं, जीवन में सुख रंच नहीं॥
क्यों है ऐसी हालत बोलो! साक्षरता का साथ नहीं।
अनपढ़ लोग बढ़ेंगे कैसे? शिक्षा का जब हाथ नहीं॥
केवल लिखना-पढ़ना-गिनना, साक्षरता का सूचक है?
नहीं-नहीं, यह संशय त्यागो, ये तो केवल पूरक हैं॥
साक्षरता है सुख का सागर, साक्षरता है पावन नीर।
साक्षरता सोपान सफलता. साक्षरता मधुसिक्त समीर॥
साक्षरता का सूर्य चमक कर, जग को राह दिखा सकता।
जो अज्ञान के तम से आवृत्त हैं, उनको ज्ञान करा सकता॥
साक्षरता की उम्र न कोई, साक्षरता की कोई न ज़ात।
साक्षरता हर नर-नारी का, बच्चे का सुखमय संवाद॥
आज समय की नस पहचानें, क्यों न चलें हम जग के साथ।
क्यों न बनाएं साक्षर सबको, शक्तिपुंज हों जिससे हाथ॥
जिनको अवसर मिला नहीं है, उनको साक्षर करना है।
उनकी अक्षय शक्ति से भी, जीवन-घट को भरना है॥
3 .आओ पढ़ें हम (बाल गीत)
आओ पढ़ें हम, आओ पढ़ें हम,
पढ़-लिखकर आगे बढ़ें हम,
कोई न हमको अनपढ़ कहे अब,
लगाया पढ़ाई से हमने दिल जब.
सुविधाएं चाहे कम ही मिलें पर.
पीछे तनिक भी नहीं हटेंगे,
कुछ सीखेंगे, कुछ सिखाएंगे,
जमाने के साथ चलते जाएंगे.
4 .पहले पढ़ाई फिर मजदूरी (बाल गीत)
साक्षरता है सुख का सागर,
साक्षरता है स्नेह-समीर ,
साक्षरता है ज्ञान-उजाला,
साक्षरता है आनंद-नीर.
साक्षरता आंखों का नूर,
साक्षरता से दिल में बहार,
साक्षरता मस्तक का चंदन,
साक्षरता जीवन-उजियार.
करना है एक काम जरूरी,
पहले पढ़ाई फिर मजदूरी,
समय से पढ़ाई कर ही ली तो,
सफलता से फिर क्या दूरी!
चलते-चलते
शिक्षण-कार्य करते हुए हमें देश-सेवा करने का भरपूर अवसर मिला. शिक्षक होने के नाते हम चुनाव-आयोजन, पोलियो-मुक्ति अभियान, जनगणना आदि बहुत-से कार्यक्रमों में सहभागी बन सके और देश-सेवा का अवसर पा सके. हमें प्रौढ़ शिक्षा और साक्षरता मिशन से जुड़ने का भी अवसर मिला. साक्षरता मिशन से जुड़ने का एक संस्मरण उल्लेखनीय है. साक्षरता मिशन की ओर से 1994 में राष्ट्रीय स्तर पर एक आलेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. हम भी इस प्रतियोगिता में एक निर्णायक जज की हैसियत से गए थे. सारे पेपर जांचने के बाद जब प्रथम विजेता के निर्णय की बारी आई तो एक प्रतिभागी प्राची पांडेय के बारे में दो निर्णायकों के निर्णय में मतभेद था. समुचित तर्क देकर हमारा निर्णय प्राची पांडेय के पक्ष में गया और वह प्रथम विजेता घोषित की गई. पुरस्कार-वितरण में भी हमें आमंत्रित किया गया. जब पूर्वांचल की छात्रा प्राची पांडेय पुरस्कार लेने आई, तो निदेशक महोदय ने हमारी ओर संकेत करके उससे कहा- ”इनकी चरण-वंदना करके इनसे आशीर्वाद लो, इनकी दृढ़ता से ही तुम्हें प्रथम विजेता घोषित किया जा सका है.” प्राची पांडेय की वह मुस्कान आज भी याद आती है. ये सभी काम हमने हंसते-हंसते कर्त्तव्य समझ कर किए, बोझ समझ कर नहीं. आगे भी प्रभु सन्मति देकर सद्मार्ग पर चलने की अनुरक्ति देता रहे. आप सबको विश्व साक्षरता दिवस की कोटिशः शुभकामनाएं.
साक्षरता का मंत्र—–
”साथ” दो हमारा, ”जीना” हम सिखाएंगे,
”मंजिल” तुम पाओ, ”रास्ता” हम दिखाएंगे,
”खुश” तुम रहो, ”खुशियां” हम दिलाएंगे,
तुम बस ”दोस्त” बने रहो, ”दोस्ती” हम निभाएंगे.
आप सबको विश्व साक्षरता दिवस की कोटिशः शुभकामनाएं.