चलंत डायरी से
‘स्वर्ण पदक’ जीतने पर शुभकामना —-‘मरियप्पन थंगवेलु’ सर, लेकिन इसबार के ‘राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार ‘ के असली हक़दार आप भी है । मैं दिव्यांग ओलम्पिक की बात कर रहा हूँ । जो रियो में पैरालम्पिक स्पर्द्धा के रूप में जारी है।
●●
सर्वप्रथम, आपसे मेरी प्रत्यक्षत: कभी मुलाकात नहीं हुई है। द्वितीयतः, आपके पिताजी को मैं चाचा जी कहता हूँ । तृतीयत:, आप मुझसे उम्र में छोटी हैं। एतदर्थ, आप मेरी छोटी बहन हैं ! ध्यातव्य है, जिस पोस्ट पर आकर आप टिप्पणी कर रही हैं, यहाँ ‘रेणुजी’ के नाम तक का उल्लेख नहीं है, फिर आपकी ये प्रलाप मेरी समझ से परे है !
●●
‘विद्यार्थिनी’ शुद्ध शब्द नहीं है, बावजूद आप इसे लिखकर दूसरे की गलतियाँ निकालने में अपनी श्रम को क्यों नष्ट कर रही हैं ! क्योंकि जब खुद अशुद्ध लिखती हैं । रही बात– स्वयं का गुणगान करनेवाली, तो इस संबंध में मैं सिर्फ़ यही कहूँगा कि मेरा नाम ‘गिनीज़ बुक’ में है, तो यह छिपानेवाली बात कहाँ है? आपने खुद नाम के साथ Adv लगाकर अपने को वकील होने का विज्ञापन कर नहीं रही हैं ! क्यों ?