जितना पूजा पाठ कीजिये, माला जपिये नाम की
जितना पूजा पाठ कीजिये, माला जपिये नाम की।
जब तक मन में द्वेष रहेगा, भाव भक्ति किस काम की।।
तन पर संतों वाला चोला, भौतिकता पसरी मन में।
मानव होकर मानवता का, काम किया क्या जीवन में।।
मन में चाहत रंगीनी की, मुख चर्चा ब्रज धाम की…
जब तक मन में द्वेष रहेगा, भाव भक्ति किस काम की…
सच्चाई को छुपा ढ़ोंग में, मिथ्या का औरा ओढ़ा।
औरों को वैराग्य सुनाया, ख़ुद धन के पीछे दौड़ा।।
मोह त्याग की कथा सुनाकर, करी कमाई दाम की…
जब तक मन में द्वेष रहेगा, भाव भक्ति किस काम की…
वो जिसने संसार बनाया, उसके नाम छलावा कर।
भोली जनता को लूटा है, दुख हरने का दावा कर।।
धर्म नाम पर जब तक जेबें, काटोगे जन आम की…
जब तक मन में द्वेष रहेगा, भाव भक्ति किस काम की…
आलौकिकता की बातें कर, भौतिकता में लीन रहा।
कर्मयोग के भाषण देकर, ख़ुद कर्मों से हीन रहा।।
मन का रावण छुपा जगत को, दिखलाकर छवि राम की…
जब तक मन में द्वेष रहेगा, भाव भक्ति किस काम की…
सतीश बंसल
०७.०९.२०२०