गीतिका/ग़ज़ल

नव युग संदेश 🌻

कब तक औरों पर निर्भर रह जाए

आत्मनिर्भर आइए अब हो जाएं
ना कच्चा माल बाहर भेजेंगे
तैयार समान अब बेचें जाएं
पेड़ और वनों को अब ना काटें
मिलके वृक्ष धरा पर नए लगाए
मैकाली शिक्षा क्यों ढोते जाएं
अब अपनी नव शिक्षा नीति बनाएं
मुमकिन नहीं सबकुछ सरकार करें
कर्तव्य अपने सभी जरुर निभाएं
— सुनीता द्विवेदी 

सुनीता द्विवेदी

होम मेकर हूं हिन्दी व आंग्ल विषय में परास्नातक हूं बी.एड हूं कविताएं लिखने का शौक है रहस्यवादी काव्य में दिलचस्पी है मुझे किताबें पढ़ना और घूमने का शौक है पिता का नाम : सुरेश कुमार शुक्ला जिला : कानपुर प्रदेश : उत्तर प्रदेश