गीतिका/ग़ज़ल

भाषणों से विष हवाओं में मिलाया जाएगा

भाषणों से विष हवाओं में मिलाया जाएगा
धार्मिक उन्माद को फिर से जगाया जाएगा

नफ़रतों की आग में गुलशन जलाया जाएगा
फिर सियासत का तवा उस पर चढ़ाया जाएगा

है यही हथियार सबसे कारगर तुम देखना
जीतने को रण रियाया को लड़ाया जाएगा

कद बहुत घटने लगा है फ़िक्र है बेहद उन्हें
चाहियें लाशें, बिछाकर कद बढ़ाया जाएगा

हाँ यही होता रहा है और होगा भी यही
जो करेगा प्रश्न वो द्रोही बताया जाएगा

तीरगी करने लगी है मंत्रणा तूफ़ान से
दीप तेरे हौसले को आजमाया जाएगा

झूठ ने बनवा लिये अनगिन मुखौटे सत्य के
सत्य को फिर इन मुखौटों से हराया जाएगा

सतीश बंसल
१०.०९.२०२०

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.