मुक्तक/दोहा

भारतेन्दु हरिश्चंद्र

भारतेन्दु  हरिश्चंद्र जी की, कलम रचे वो छंद।
खुल जायें सब द्वार दिमागी, जो थे पहले बंद।।
हो   कोई   चौपट राजा  या, हो अंग्रेजी राज।
शोषण के विपरीत लड़ा है,उनका सकल समाज।
एक साथ रच डाले नाटक, कविता विपुल निबंध।
मंचों पर अभिनय के द्वारा, तोड़े वर्जित बंध।।
हिंदी माता की गोदी में, हुआ न ऐसा लाल।
पैतीस वर्षों के लघु वय में, माता हुई निहाल।।
कई पत्र के संपादक थे, सजग सहज सुविवेक।
अतुलित प्रतिभा के स्वामी थे,एक और बस एक।
सुंदर सुगठित छैल छबीला, घुघराले थे केश।
सविनय नमन आपको प्रेषित, करता है अवधेश।।
— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन