क्षणिका : तर्पण
-1-
जीते जी,,,
सम्मान नहीं
मरने पर
श्राद्ध तर्पण
कैसा घोटाला ?
-2-
अतृप्त मन
स्नेह मृगतृष्णा,
कैसे कर दूं,
यादों का तर्पण ?
अंजु गुप्ता
-1-
जीते जी,,,
सम्मान नहीं
मरने पर
श्राद्ध तर्पण
कैसा घोटाला ?
-2-
अतृप्त मन
स्नेह मृगतृष्णा,
कैसे कर दूं,
यादों का तर्पण ?
अंजु गुप्ता