सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 9
कवि, तुम क्या हो? (कविता)
कवि
तुम
पुजारी हो
दृश्य के
अदृश्य के
कथ्य के
श्रव्य के
सत्यम् के
शिवम् के
सुंदरम् के
कुछ भी नहीं है
तुम्हारे लिए
व्यर्थ,
क्योंकि
तुम
सार-सार
ग्रहण करने में
हो समर्थ,
तुम संवेदनशील हो
देते हो वाणी
दिल की गहराइयों को
छू लेते हो आसमां
गुंजा देते हो
सन्नाटे वाली तनहाइयों को
तुम
परमपिता परमात्मा की
अनुपम कृति हो
अलभ्य अनुकृति हो
धैर्य की धृति हो
वरेण्य वृत्ति हो
संप्रेष्य भावों की
पुनीत प्रतिमूर्ति हो
तुम
वाणी के वरदान हो
भावों के भगवान हो
लेखनी के अरमान हो
तुम
मानस के श्रृंगार हो
सेहरा में गुलज़ार हो
कांटों में बहार हो
मरुस्थल में फुहार हो
कवि, तुम कवि हो,
कवि, तुम कवि हो,
कवि, 8 तुम कवि हो.
23 .8.1994
-लीला तिवानी
मेरा संक्षिप्त परिचय
मुझे बचपन से ही लेखन का शौक है. मैं राजकीय विद्यालय, दिल्ली से रिटायर्ड वरिष्ठ हिंदी अध्यापिका हूं. कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास आदि लिखती रहती हूं. आजकल ब्लॉगिंग के काम में व्यस्त हूं.
मैं हिंदी-सिंधी-पंजाबी में गीत-कविता-भजन भी लिखती हूं. मेरी सिंधी कविता की एक पुस्तक भारत सरकार द्वारा और दूसरी दिल्ली राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता की एक पुस्तक ”अहसास जिंदा है” तथा भजनों की अनेक पुस्तकें और ई.पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक मंचों से भी जुड़ी हुई हूं. एक शोधपत्र दिल्ली सरकार द्वारा और एक भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं.
कवि क्या है? कवि की समर्थता की अद्भुत मिसाल————-
कहते हैं- ”जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि”. पं. श्रद्धाराम शर्मा इसकी अद्भुत मिसाल हैं. पं. श्रद्धाराम शर्मा ‘ओम जय जगदीश हरे’ आरती के सृजक हैं. 150 साल पहले लिखी गई यह आरती अब विश्व आरती बन चुकी है. दुनिया के किसी भी कोने में चले जाइए, यह आरती गाई-बजाई जाती है. यह है कवि की ताकत. पं. श्रद्धाराम शर्मा (या श्रद्धाराम फिल्लौरी) (१८३७-२४ जून १८८१) सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ तथा हिन्दी और पंजाबी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। अपनी विलक्षण प्रतिभा और ओजस्वी वक्तृता के बल पर उन्होने पंजाब में नवीन सामाजिक चेतना एवं धार्मिक उत्साह जगाया जिससे आगे चलकर आर्य समाज के लिये पहले से निर्मित उर्वर भूमि मिली। पं. श्रद्धाराम शर्मा का जन्म पंजाब के जिले जालंधर में स्थित फिल्लौर शहर में हुआ था, इसलिए इन्हें पं. श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी भी कहा जाता है.