ग़ज़ल
अच्छी नही ये हमने गुजारी ये जिदंगी
अहसान की मानिद हमने उतारी ये जिदंगी
उसमे तो आपका ही निशा मिलेगा ही
वो भी तो आपकी ही है हमारी जिदंगी
है जिनको प्यारी उन्हे हो मुबारक ये
हमको नही बिल्कुल भी प्यारी ये जिदंगी
तुम पे जान और दिल के साथ साथ
हमने तो पूरी ये वारी है जिदंगी
— आभिषेक जैन