5 अत्यंत विशिष्ट क्षणिकाएँ
1.
नेता
जिसे न शुद्ध-शुद्ध
लिखने आये,
न बोलने आवे,
न सुकृत्य कर पाए,
दरअसल
यह अव्याकरणाचार्य नहीं,
‘नेता’ कहलाते हैं !
2.
पु और रूस
क्या सभी पुल्लिंग
‘रूस’ में पैदा हुए हैं,
क्योंकि इस शब्द का
एक पर्यायवाची
‘पुरुष’ में पु माने पुल्लिंग
और रुष माने रूस भी है !
सच्ची में क्या ?
3.
चश्मे
मैं ‘दूसरे’ के चश्मे से
‘तीसरे’ का
मूल्यांकन नहीं करता
और फिर खुद ‘मैं’
चश्मा नहीं लगाता !
4.
फेसबुक पर नहीं
शुभ संध्या !
फेसबुक अभी खोला,
तो यह पेज अभी देखा !
खेद है, फिर कभी !
मैं फेसबुक पर
कार्यालय अवधि में नहीं रहता !
दोनों जब एक्टिविस्ट हैं,
तो मिलना-जुलना तो होगा ही !
5.
आई गई
आठ घंटे के बाद बिजली आयी,
दो घंटे रहकर
फिर चली गई,
फिर आयी है….
बिहार में कुछ माह के बाद चुनाव है
यानी आयी, गई, आयी, गई….