कामेश्वर पंकज
हिंदी के सुपरिचित लेखक, समीक्षक, वक्ता और डी एस कॉलेज, कटिहार में हिंदी प्राध्यापक डॉ. कामेश्वर पंकज के पास भी बीते 5 सितम्बर को पुस्तकद्वय ‘पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद (शोध)’ और ‘लव इन डार्विन (नाट्य पटकथा)’ पहुँच गयी। दूरभाष वार्त्ता में सर जी ने पुस्तकद्वय की अतिशीघ्र समीक्षा की बात कहा है, जिसे मैं बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा हूँ।
आदरणीय श्री पंकज सर के साहित्यिक अवदान और कॅरियर संबंधी स्वर्णिम भविष्य की कामना करते हुए हृदयश: आभार व्यक्त करता हूँ, साथ ही सादर धन्यवाद भी ! इसके साथ ही-
‘जीवन के 99% दुःख को
अगर सुख मान ले,
तो सिर्फ़ 1% दुःख ही बचेगा !
अरविंद सर ने ‘दर्शन’ भेजी है।’
और-
‘हर चीज
मन के अनुकूल
नहीं हो सकती है,
पर मन को
उस चीज के लायक
बनाया जा सकता है !
मुकेश सर के दर्शन ।’
पुन: –
‘सुख आगे मिलेगा !
सुमन सर की भविष्यवाणी।
तबियत थोड़ी नासाज़ है,
इक ‘सॉफ्ट’ मसाज़ की
जरूरत है !’