पाठक की कलम से- 2
सुदर्शन खन्ना के फेसबुक से साभार.
कविता क्या है?
कविता जीवन का सार समेट लेती है
चंद शब्दों में, गौरवगाथा सुना देती है
कभी प्रेम रस धारा बहा कर
संवेदनाओं को अलंकृत कर देती है
कभी करुणा की पुकार बन
हमें हमारे कर्मों के प्रति सचेत कर देती है
कवि के कोमल हृदय का आइना होती है रचना
रंगबिरंगे सपनों से सजी हुई कवि की कल्पना
मन के भावों को झंकृत करके पीड़ा हरती कविता की संवेदना.
-चंचल जैन
सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 9 की प्रतिक्रिया से साभार.
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पुनश्च-
इस ब्लॉग के कामेंट्स में आए चुनिंदा बधाई-संदेश 28 सितंबर के जन्मदिन विशेष ‘विशेष सदाबहार कैलेंडर- 163’ में प्रकाशित किए जाएंगे.
सुदर्शन भाई जी, राजकुमार भाई जी, आप सब लोग बहुत-बहुत धन्यवाद के पात्र हैं. आप सबने अपनी-अपनी तरह से भावनाएं व्यक्त करके हमारे जन्मदिन को विशेष बना दिया है.आप सबको हार्दिक धन्यवाद. इस बार तो हम 9 सितंबर से ही अपना जन्मदिन मना रहे हैं और अब तक मना रहे हैं. चंचल जी, आपने सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 9 की प्रतिक्रिया में ‘कवि, तुम क्या हो?” के संदर्ह में सहज रूप से ही बहुत सुंदर कविता लिख दी- ”कविता क्या है?” अअप सब लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया.