पंथनिरपेक्षता
टोपी ना पहनो, तो उसपर प्रॉब्लम! खाली पैर रहो, तो उसपर प्रॉब्लम ! ….किन्तु एक दाढ़ीवाले ने दूसरे दाढ़ीवाले को चुना, यह प्रॉब्लम नहीं हुआ ! कोई भी व्यक्ति जो मानव होने का दावा करता है, वह धर्मनिरपेक्ष हो ही नहीं सकता है, किन्तु वह पंथनिरपेक्ष हो सकता है! हमारे संविधान में ‘सेक्यूलर’ शब्द का उल्लेख है, जिनका अधिकृत हिंदी अर्थ ‘पंथनिरपेक्ष’ है । ‘पंथ’ का अर्थ सम्प्रदाय से है, जो धर्म नहीं है!
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भारतीय संविधान के वास्तविक हिंदी अनुवाद में सेक्यूलर का अर्थ ‘पंथ निरपेक्ष’ ही बताया गया है, जो कि कोई भी देख सकता है ! दरअसल, पंथ तो कर्मकांड से प्रेरित है, किन्तु धर्म की परिभाषा तो विस्तृत है । सभी कर्मकांडों को त्यागकर ही धर्म स्वरूप में आते हैं ! धर्म का अर्थ धारण करना व धैर्य से है । समाज सुधारक कोई क्यों नहीं हो सकता है ? हम बुद्धिजीवी वर्ग चिंतक तो हो ही सकते हैं, जो मानना नहीं चाहता, तो इसपर मनन कीजिये, बारम्बार ! इसपर भी नहीं समझते हैं, तो खुद सुधारक अथवा चिंतक बन जाइये ! रोका किसने है ?