विविधा विताशा
…. तो धर्मविहीन समाज के निर्माण में सादर सहयोग करें ! आप कैसे कवि हैं भाई ! ‘मुक्तिबोध’ को नहीं समझ पा रहे हैं ? हमें लगता है, आप ‘पर….भाष’ बुद्धिजीवी भी नहीं हैं ! क्यों ? श्रीमान प्रभाष ! यह कहकर आप ‘अहं’ का परिचय दिया हैं ! आपने क्या किया है अबतक ? जो उद्धरण बनाऊं ! फ़ख़्त, नील बटा सन्नाटा ! क्या-क्या लिखते हो जी ! प्रवचन तो आप झाड़ते हैं ! कभी आप, तो कभी तुम ! आपका दर्शन आपको सलामत ! बचकाना या बच काना ! जैसा कि आपने अभी-अभी सिखाए, जी ! आप समीज पहन लो ! मुँह कब से मियाँ हो गया जी, जो सुगर पेशेंट हो गया ! जय हो, भय हो, क्षय हो…. आज दिन भी मंगल है जी और हम दोनों कुतर्कों के दंगल में हैं जी ! हा-हा-हा ! भाई, बाल की खाल नहीं, पाल की खाल …. जो ब्लैक है…. हा-हा-हा…. भाई, don’t another mind !
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प्राचीन विश्व के सृजक ‘विश्वकर्मा’ देव की पूजा-अर्चना तिथि और भारत के वर्त्तमान विश्वकर्मा श्री नरेन्द्र मोदी की जन्म-जयंती (17 सितम्बर) पर प्रथम यानी देव और दूसरे यानी नर को आदरपूर्वक नमन !
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‘सर्वोदय समाज, कटिहार’ के आदरणीय अध्यक्ष और सदस्यों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए दिल्ली में गिरफ्तारी दी…. शाबाश, सर्वोदय समाज ! अब तो आंदोलन से इतर माइंड गेम खेलने होंगे, क्योंकि दिल्ली तो हिंदी पट्टी है ही ! अगर हम चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, कोलकाता के माइंड को बदलें, तो बात बने….
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संघर्ष में आदमी अकेला होता है, परंतु जब उन्हें सफलता मिलती है, तो पूरी दुनिया उनके साथ हो जाती है !