सतरंगी छटाएँ
कोई भी व्यक्ति, जो मानव होने का दावा करता है, वह धर्मनिरपेक्ष हो ही नहीं सकता है, किन्तु वह पंथनिरपेक्ष हो सकता है !
••••••
नामवर सिंह जी और सुधीश पचौरी जी के द्वारा लिखा मैंने आजतक समझ नहीं पाया हूँ, पर आपने ?
••••••
अपनी ‘कार’ त्यागकर, बसों या ट्रेनों में सफर करें, तो किसानों को ‘तेल’ मुफ्त में प्राप्त होंगे। तभी ‘सरकार’ बरकरार और बेकरार रहेगी!
••••••
एक व्यक्ति माट’सा कह शब्दों को बिगाड़ दबंगीयत का परिचय देता है !
तभी तो बचपन में मैं उसे ‘नेटा’ ही कह पाता था यानी ‘नाक’ का ‘घी’ !
••••••
संविधान में ‘सेक्यूलर’ शब्द का उल्लेख है, जिनका अधिकृत हिंदी अर्थ पंथनिरपेक्ष है। ‘पंथ’ का अर्थ सम्प्रदाय से है, जो धर्म नहीं है!
••••••
मेरे शिक्षक व शिक्षिका मित्र, जिसने मेरी किताब रुपये देकर नहीं खरीदे,
अपितु उसे उपहारस्वरूप मिली, बावजूद वे इसे पढ़ नहीं पाए हैं !
••••••
प्यासा हैं, पर मिलने पर भी टोके नहीं ! टॉर्चर…. अच्छी चीज प्राप्त करने के लिए तपस्या भी चाहिए, क्यों ?
••••••
शिक्षकों के कर्त्तव्य है पढ़ना -पढ़ाना ! वे होते ही है, शब्दों के जादूगर ! ‘फुरसत नहीं’ को मेरी किताब नहीं पढ़ पाने का कारण बताएंगे !
••••••
कुछ मित्र, जब किशोर थे, तब शादी किये, अब वो संबंध के मामले में शिथिल हो गए हैं, जो 40 पार शादी किए, वे सीएल लेकर पत्नी के साथ हैं !
••••••
मेरी किताब स्वत: पाने व पढ़ने की इच्छा जाहिर करनेवाले करीबी मित्रो की संख्या 2% है, तो खरीदकर पढ़नेवालों की संख्या 0.0001% है ! अभी इच्छा है, तो जुनून लाइये, मिल जाएगी !
••••••
बड़े ‘खिलाड़ी’ आडवाणी = 93+ छोटे खिलाड़ी आडवाणी = 23+ जन्मदिवस की शुभकामनाएं….