कविता

जिंदगी एक सफर है

जिंदगी एक सफर है
यहां कल की ना कोई खबर है॥
मौजूद हर इंसान यहां
पर खुद से बेखबर है
यही है जिंदगी॥

जिंदगी का एक ही मकसद है
यहां पैसों की ही खनक है॥
जिसको भी यह मिले
बस वही दुनिया में अमर है
यही है जिंदगी॥

यहां अपने ही लूटते हैं
गैरों में कहां दम है॥
स्वार्थी बन रही दुनिया
बस अपनी खुशी में ही मग्न है
यही है जिंदगी॥

या चेहरे देती है सौगातें
रूप के साथ चल रहा वक्त है॥
काबिलियत की कोई कीमत नहीं
रुपयों में डूब गया हर शख्स है
यही है जिंदगी॥

विदेशी बनता जा रहा
क्यों हमारा भारत वतन है॥
अंग्रेजी का उपयोग इतना कि
हमारी संस्कृति हो रही खतम है
यही है जिंदगी॥

आजकल नफरत है इतनी भरी
की आग की जलन भी कम है॥
हमले में खून की होली
खेली हर मासूमों के मन से
यही है जिंदगी॥

आज हम यहां मौजूद है
पर कल शायद ना रहे॥
तो जिंदगी में कुछ ऐसा करें
जो सबको याद रहे
यही है जिंदगी॥

— रमिला राजपुरोहित

रमिला राजपुरोहित

रमीला कन्हैयालाल राजपुरोहित बी.ए. छात्रा उम्र-22 गोवा