संयुक्त परिवार वहां होता है जिसमें एक साथ एक ही घर में कई पीढ़ियों के लोग रहते हो | उनकी रसोई, पूजा-पाठ, इन संपत्ति सामूहिक होती है | परंतु वर्तमान स्थिति में हर कोई एकल परिवार चाहता है | जहां बस पति पत्नी और उनके बच्चे रहते हो | समझ नहीं आता कि संयुक्त परिवार […]
Author: रमिला राजपुरोहित
कान्हा
मैं बाट जोऊ थारी | तू आजा मारो सांवरियो || ये संसार सारो झूठों | बस तू ही सच्चा कानूडो || तू द्रोपदी री लाज रखे | ने दुखिया रो साथ निभावे || तू रक्षा करें प्रहलाद री प्रहलाद | ने नरसिंह रो अवतार धारे || तू गोपियाँ संग रास रचावे | ने मटकी तोड़े […]
वर्तमान स्थिति
वर्तमान स्थिति आध्यात्मिक दुखदाई है | संतान अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए अपने ही माता-पिता का सहारा लेती है | बड़े ही दुख की बात है कि आजकल हर घर में हर किसी की पीड़ा का कारण स्वयं उनकी संतान बन चुकी है| “खड़ी बोली मांवड़ी ,मीठा बोले लोग” यह एक राजस्थानी मुहावरा है […]
संतान धर्म
” मैं तो मंदिर गया, पूजा आरती की, पूजा करते हुए यह ख्याल आ गया कभी मां-बाप की सेवा कि ही नहीं, सिर्फ पूजा के करने से से क्या फायदा” यहां संत कबीर दास जी के दोहे बड़ी ही सुंदरता से से मनुष्य को उनके कर्तव्य के प्रति दर्शाते हैं| उनका कहना है कि | […]
पिताश्री
हमारी संस्कृति ही हमें सिखाती है कि `मातृ देवो भव] पितृ देवो भव’ अर्थात माता-पिता ही भगवान का स्वरूप है. जन्मदाता है, स्वयं परमात्मा है. जीवन में सदैव मां की ममता की बात रची जाती है. परंतु पिता के त्याग व संघर्ष की बातें बहुत ही कम सुनाई देती है. उनसे महान गुरु हमारे जीवन में […]
“क्रोध”
क्रोध बेशक दुष्ट बुद्धि होता हैं, परंतु मन की बात जुबां पर लाने का जरिया भी होता हैं। क्रोध से वर्षों पुरानी तपस्या बिगड़ जाती हैं। सारे कर्मो पर पानी फेर जाता है। लाख अच्छे काम कर लो,,,, एक क्रोध काफ़ी होता हैं सारे संघर्ष को क्षण में नष्ट करने के लिए। सबसे मज़ेदार बात […]
हमारी बेटी
बजी खुशियों की शहनाई जब वह दुनिया में आई | जन्म उसका लड़की का फिर भी अभिशाप कहलाई || उसे देख कर क्यों सबकी आंखें हैं भर आई | लड़का मांगा था उन्होंने और वह बदनसीब ही बन पाई || पापा, बोले बेटा आता छंद पैसे घर लाता | परंतु लड़की है आई अब इसकी […]
क्या मनुष्य को कानून की आवश्यकता है?
राष्ट्रवाद राष्ट्र के प्रति निष्ठा , उसकी प्रगति और उसके प्रति सभी नियमों व आदर्शों को बनाए रखने का सिद्धांत होता है | अब यहां प्रश्न उठता है कि ,क्या मनुष्य को कानून की आवश्यकता है? माना कि नियम और कानून का होना अति आवश्यक है | नियम व कानून के दायरे में रहकर ही […]
उन वीर जवानों को शत -शत नमन
सत्य तो यही है की आज हम सब एक खुशाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं ,तो इसका श्रेय केवल उन वीर जवानों को जाता है | जो सीमा पर अपने देश की रक्षा हेतु खड़े हैं | “तुम स्वार्थ की बात करते हो, उन्होंने तो अपना सर्वस्व भारत माता के नाम कर दिया है | […]
क्या आपको दुसरो को पीड़ा में देख आनंद प्राप्त होता है?
दुख और सुख दोनों ही जीवन के दो अहम भाग है । इस पूरे ब्रहमांड में हर मनुष्य ने इन दोनों ही चीजों का अनुभव अवश्य किया है । ऐसा कोई जीव नहीं जो भगवान के समक्ष दुख की कामना करता हो । हर कोई यही अपेक्षा करता है कि उनके जीवन में कभी भी […]