सामाजिक

क्या मनुष्य को कानून की आवश्यकता है?

राष्ट्रवाद राष्ट्र के प्रति निष्ठा , उसकी प्रगति और उसके प्रति सभी नियमों व आदर्शों को बनाए रखने का सिद्धांत होता है | अब यहां प्रश्न उठता है कि ,क्या मनुष्य को कानून की आवश्यकता है?

माना कि नियम और कानून का होना अति आवश्यक है | नियम व कानून के दायरे में रहकर ही मनुष्य सही और गलत के बीच की दूरी का अंदाजा लगा पाता है | और सख्त कानून के डर से ही ,वह कोई भी अनुचित कार्य करने से पहले सौ बार अवश्य सोचता है | क्योंकि उसका परिणाम ही भारी ही होता है | लोगों के हित में भी कहीं सारे कानून और अर्थव्यवस्थाएं बनी है | मनुष्य के सम्मान और उनके अधिकार के प्रति भी कहीं सारे कानून बने हैं | जो उन्हें उनका हक दिलाने में भी सहायता करते हैं | और कुछ लोग नेक काम कर समाज के सामने एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत होते हैं |

एक होते हैं वह लोग जो सारे कायदे और कानून का बड़ी ही निष्ठा से पालन करते हैं | दूसरे होते हैं वह लोग जो सारे कानून तोड़ते हैं | और स्वयं को समाज के समक्ष अपराधी साबित करते हैं | और तीसरे होते हैं वह लोग जो नाही अच्छे कर्म करते हैं और नाही बुरे | केवल हर चीज में कमियां निकालते हैं | जैसे कि “यह कानून तो केवल महिला के हित में है | यह तो मनुष्य के प्रति भेदभाव है” | और यदि वह सारे कानून पुरुषों के लिए भी स्थापित कर दिए जाए तो उसमें भी उनको आपत्ति होती है | एक तरफ वह जेंडर इक्वलिटी और धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं | और दूसरी तरफ वह नारीवाद के हित के लिए युद्ध करते हैं |

यह कहते हुए अत्यंत दुख हो रहा है परंतु नारीवाद या फेमिनिज्म के नाम पर कहीं सारे औरतें कानून का दुरुपयोग कर रही है | फर्जी FIR दर्ज करवा रही है | सरकार ने कहीं सारे कानून नारियों की हित में अवश्य बनाए हैं | ताकि उनके आत्मसम्मान की रक्षा की जा सके| उनके साथ कोई गलत घटनाएं ना हो | वैसे देखा जाए तो अपराधी की ना ही जात होती है, ना ही लिंग होता है ,और ना ही धर्म होता है | अपराधी केवल और केवल एक अपराधी ही होता है | वह कोई भी हो सकता है | और जो कोई भी फेक फेमिनिज्म के नाम पर पुरुषों को अपना हथियार बना रहे हैं | वह शत-प्रतिशत गलत कार्य कर रहे हैं | अब सवाल यह उठता है कि यह भ्रम कैसे दूर किया जाए ? इसके लिए हम सबको अपनी विचारधारा में बदलाव लाना होगा | एक अपराधी को केवल एक अपराधी के नजरिए से देखना होगा | उसे धर्म, जाति, व र्लिंग के आधार पर न तोले | और केवल नारी के हित में सहारा मत बनिए | सत्य के पक्ष पर अपना चुनाव कीजिए | चाहे वह कोई भी क्यों ना हो छोटा , बड़ा , अमीर , गरीब या नौकर विजय केवल सत्य की होनी चाहिए |

इस ब्रह्मांड में कहीं सारे सारे मनुष्य ऐसे हैं | जो बस बैठे-बैठे हर चीज में दोष ढूंढने में मग्न है | परंतु उनमें स्वयं कुछ भी करने का साहस नहीं होता | यदि हर मनुष्य सही पथ पर चलेने लगे तो क्या जरूरत है कानून की ? यदि हर कोई दूसरों की पीड़ा को स्वयं महसूस करना सीख जाए तो कोई कलेश ही नहीं होगा | यदि हर एक व्यक्ति जिम्मेदार नागरिक बन जाए तो कोई FIR दर्ज नहीं होंगे | यदि हर कोई नारी को सम्मान देना सीख जाए ,तो दुनिया में रेप जैसी दुखद घटनाएं नहीं होगी | लोग कानून में कमियां ढूंढने में मग्न है ,और अपने कारनामों को छुपाने में माहिर | यदि हर कोई एक अच्छा नागरिक बनना चाहे तो क्या जरूरत है किसी कोर्ट-कचहरी की | हमारे समक्ष कही सारे उदाहरण है | जैसे कि राजा दशरथ , राजा राम, राजा हरिश्चंद्र , श्री कृष्ण ,गौतम बुद्ध इन सभी ने इसी धरती पर जन्म लिया था | और जीवन किस प्रकार जीया जाता है , उसका उदाहरण हमारे सामने प्रस्तुत किया है | कहीं सारे साधु संत है जो केवल मनुष्य के कल्याण के लिए उचित मार्ग दिखाते हैं | हमारे देश में कोई कमी नहीं है | हमारे कानून में कोई कमी नहीं है | हमारी अर्थव्यवस्था में कोई कमी नहीं है | दोष है तो केवल हमें | हम ही सही राह पर व सही पथ पर चलना नहीं चाहते | देश को बदलाव की नहीं बल्कि हर एक मनुष्य को आंतरिक बदलाव की आवश्यकता है | देश खुद ही बदलने लगेगा व तरक्की करने लगेगा | देर है तो केवल कलयुग को सतयुग में परिवर्तित करने की |

जय भारत

— रमिला राजपुरोहित

रमिला राजपुरोहित

रमीला कन्हैयालाल राजपुरोहित बी.ए. छात्रा उम्र-22 गोवा