राजनीति

गड़बड़झाला

ऐसे राज्य में धड़ाधड़ इंजीनियरिंग संस्थान खोले जा रहे हैं, परंतु वहाँ एक भी लेक्चरर नहीं है ! कैसे एआईसीटीई उसे मान्यता दे देते हैं ? बिना लेक्चरर के पास ऐसे बी.टेक., जिसे प्रैक्टिकल कुछ भी नहीं आता है, इसे ही गेस्ट लेक्चरर बना कर पॉलिटेक्निक संस्थान को भेजा जाता है । काफी संख्या में नये-नये विद्यालय खोल लिए , लाखों शिक्षक बहाल कर लिए और उनके नाम दे दिए- नियोजित, फिर कहा- यह परमानेंट टीचर हैं, कॉन्ट्रैक्टवाले नहीं, किन्तु शिक्षा विभाग यह मानते हैं कि ऐसे शिक्षक सरकारी सेवक है ही नहीं ! यह क्या गड़बड़झाला है ! सेवाशर्त्त नियमावली सिर्फ चुनावी है, सब्जबाग लिए ! आप जनाब अपने कर्मी वेतन सही समय दे नहीं पाते हैं, एडवांस वेतन-भुगतान की बात ही छोड़िए और ऐसे राज्य में धड़ाधड़ इंजीनियरिंग संस्थान खोले जा रहे हैं, परंतु वहाँ एक भी लेक्चरर नहीं है ! कैसे एआईसीटीई उसे मान्यता दे देते हैं ? बिना लेक्चरर के पास ऐसे बी.टेक., जिसे प्रैक्टिकल कुछ भी नहीं आता है, इसे ही गेस्ट लेक्चरर बना कर पॉलिटेक्निक संस्थान को भेजा जाता है । काफी संख्या में नये-नये विद्यालय खोल लिए , लाखों शिक्षक बहाल कर लिए और उनके नाम दे दिए- नियोजित, फिर कहा- यह परमानेंट टीचर हैं, कॉन्ट्रैक्टवाले नहीं, किन्तु शिक्षा विभाग यह मानते हैं कि ऐसे शिक्षक सरकारी सेवक है ही नहीं ! यह क्या गड़बड़झाला है ! सेवाशर्त्त नियमावली सिर्फ चुनावी है, सब्जबाग लिए ! आप जनाब अपने कर्मी वेतन सही समय दे नहीं पाते हैं, एडवांस वेतन-भुगतान की बात ही छोड़िए और गुणवत्तापरक शिक्षा देने की उनसे अपेक्षा रखते हैं ! उस शिक्षक को जो एमए पास हैं, उनकी जांच जीविका दीदी से करवा रहे हैं यानी विद्वता का कोई प्रोटोकॉल नहीं होता है, क्या, राजा साहेब ? लेकिन हम भी मतदाता हैं और हमारे सामने किसी माननीय की हैसियत सेवक की है, स्वामी की नहीं ! भारतीय संविधान को ‘हम भारत के लोग’ ने अधिनियमित किया है । राजा बनने का प्रयास मत कीजिये । राजाओं के ऐसे अहम् उन्हें खालिश मान-मर्दन करता है ! शिक्षा देने की उनसे अपेक्षा रखते हैं ! उस शिक्षक को जो एमए पास हैं, उनकी जांच जीविका दीदी से करवा रहे हैं यानी विद्वता का कोई प्रोटोकॉल नहीं होता है, क्या, राजा साहेब ? लेकिन हम भी मतदाता हैं और हमारे सामने किसी माननीय की हैसियत सेवक की है, स्वामी की नहीं ! भारतीय संविधान को ‘हम भारत के लोग’ ने अधिनियमित किया है । राजा बनने का प्रयास मत कीजिये । राजाओं के ऐसे अहम् उन्हें खालिश मान-मर्दन करता है !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.