पाये तेरी गोद में, मैंने चारों धाम
तेरे आँचल में छुपा, कैसा ये अहसास।
सोता हूँ माँ चैन से, जब होती हो पास।।
माँ ममता की खान है, धरती पर भगवान।
माँ की महिमा मानिए, सबसे श्रेष्ठ-महान।।
माँ कविता के बोल-सी,कहानी की जुबान।
दोहो के रस में घुली, लगे छंद की जान।।
माँ वीणा की तार है, माँ है फूल बहार।
माँ ही लय, माँ ताल है,जीवन की झंकार।।
माँ ही गीता, वेद है, माँ ही सच्ची प्रीत।
बिन माँ के झूठी लगे, जग की सारी रीत।।
माँ हरियाली दूब है, शीतल गंग अनूप।
मुझमे तुझमे बस रहा, माँ का ही तो रूप।।
माँ तेरे इस प्यार को, दूँ क्या कैसा नाम।
पाये तेरी गोद में, मैंने चारों धाम।।
— प्रियंका सौरभ