सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 10
कैलाश भटनागर की दो कविताएं
1.लय
मैं गूंगा नहीं हूं
भावनाएं जब तीव्र हों
देखा इतना गया हो
सुना गया हो इतना
कि बोलना कठिन हो
तब सुनना नहीं,
केवल देखना
देखना-देखना-देखना.
हां मैं देखता हूं
हर चीज को ध्यान से
बस देखता हूं
मुझे चाहे दर्शक कहें
या दार्शनिक
पर
मैं हूं
वही मुझ में सत्य है
कि मैं हूं.
सुनता हूं
हर एक बात
समझता हूं कई-कई बार
जिन्हें व्यक्त करना
शब्दों में बेहद मुश्किल हो
इसलिए बोलता नहीं हूं.
-कैलाश भटनागर
2.’कल’ की थाती
माना,
कि तुम्हारी झोली बोझिल है
उन फूलों और कांटों से
जो
तुम्हारे ‘कल’ ने तुम्हें दिए
पर तुम
इसे ‘बोझ’ समझ मत ढोना.
जो फूल तुमने कल तक बीजे
संजोए अपने आंचल में
महकाते रहेंगे
तुम्हारा ‘आज’ ही नहीं
आने वाला ‘कल’ भी.
और कांटे!
याद दिलाते रहेंगे
सदा उन भूलों की
कि तुम्हें
उन-सी चुभन
फिर न हो कभी.
यह ‘कल’ की थाती
संवारेंगी ‘आज’ तुम्हारा.
-कैलाश भटनागर
96 साल की श्रीमती कैलाश भटनागर जी के परिचय के लिए पढ़िए कैलाश भटनागर पर लीला तिवानी के ब्लॉग्स-
एक सक्षम हस्ताक्षर, कैलाश भटनागर
कैलाश भटनागर: एक सच्ची फ़नकार- 1
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/kailash-bhatnagar-a-real-artist-1/
कैलाश भटनागर: एक सच्ची फ़नकार- 2
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/kailash-bhatnagar-a-real-artist-2/
सदाबहार काव्यालय- 44
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%AF-44/
सब से पहले 96 साल की श्रीमती कैलाश भटनागर जी को जीवन के लंबे अनुभवों से ओतप्रोत इतनी खूबसूरत कविताओं के लिए बधाई. कैलाश भटनागर जी की ये ताजा हस्तलिखित कविताएं सिडनी की पत्रिका ‘संदेश’ में प्रकाशित हुई थीं. कैलाश दीदी कंप्यूटर पर मेल-रचनाएं पढ़ लेती हैं, पर लिखने का काम वे अपनी खूबसूरत हस्तलिपि में ही करती हैं. जितनी खूबसूरत उनकी हस्तलिपि है, उतनी ही खूबसूरत उनकी बारीक-बारीक पेंटिंग भी. कैलाश दीदी के परिचय के लिए आप उनके लेख पढ़िए, बहुत प्रोत्साहन मिलेगा. हम भी कामेंटस में बहुत कुछ बताते जाएंगे.