लघुकथा – कानून का फैसला
रामधनी बहुत गरीब था।किसी तरह मेहनत मजदूरी कर अपना और अपनी पत्नी का जीवन यापन करता था।उसके पड़ोस के बाबू जी उसकी जमीन खरीदना चाहते थे,मगर राम धनी बेंचना नहीं चाहता था।
आखिरकार बाबू जी ने इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया और रामधनी को उसके अपने ही घर से अपने गुर्गों को भेज कर उसको बेदखल कर दिया।
रोते बिलखते जब राम धनी ने पुलिस
से अपनी शिकायत की तब पुलिस ने उल्टे रामधनी पर शांतिभंग का आरोप लगा चालान कर जेल भेज दिया।
कानून(पुलिस)ने अपना फैसला कर दिया था,क्योंकि बाबू जी ने मिठाई का डिब्बा कानून (पुलिस)को पहले ही भेंटकर दिया था।
— सुधीर श्रीवास्तव