अपने-अपने विचारनामे
‘संविधान’ में अपने देश का नाम भारत और India है, इसके अलावा अन्य किसी पर्यायार्थ नाम का जिक्र नहीं है । भारत से भारतीय का बोध पाते हैं, India से Indian का ।
अगर ‘हिंदुस्तान’ पुकारते हैं, तो स्वभावश: यहाँ के सभी निवासी जो यहाँ रहते हैं, वो ‘हिन्दू’ है ! हिन्दू सब धर्मों का मूल है, जिनकी सात्त्विक संस्कृति संसार में सर्वाधिक पुरानी है । महात्मा गाँधी ने कहा था, ‘सत्य की अनवरत खोज का नाम हिन्दू है।’
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देश में एक दिन यानी अपना गणतंत्र दिवस को दिल्ली में शस्त्रास्त्र का परेड होता है । हम हमेशा नहीं, 70 की उम्र में जाकर ही गाँधी बन लाठी उठाते हैं । हम भारतीय 80 की आयु पार करने पर ही वीर कुँवर सिंह बन तलवार भाँजते हैं, किन्तु ऐसा तब होता है, जब ‘गीता’ का उपदेश मूढ़-मगज़धारी को समझ में नहीं आता है।
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फेसबुकिया मित्र के विचार:-
“ब्राह्मण शादी कराते और श्राद्ध भी, तो राजपूत रक्षा भी करते और सर्वनाश भी! जिसदिन दोनों गुस्से में आ गए, उस दिन सरकार का सर्वनाश और श्राद्ध दोनों हो जाएंगे!”
मेरी प्रतिक्रिया:-
“अब तो शादी और श्राद्ध कई तरीके से होते हैं, जिनमें ब्राह्मण की आवश्यकता भी नहीं पड़ती ! रही बात राजपूतों की, तो अब वे बहुत कमजोर हो गए हैं, देश की सीमाओं में सर्वाधिक सैनिक OBC से हैं ! आप पढ़े-लिखे लोग हैं, यह तो जानते ही होंगे कि कोई सरकार बहुमत से बनती है, न कि गुस्सा, शाप या वरदान से!”
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गम भुलाने के लिए कोई खून बहाते हैं,
किन्तु हम तो आँसू बहाते हैं !