आधुनिकता
छुट्टी का दिन था. सभी अपने घर में ही थे. बिल्डिंग के बच्चे हमारे फ्लोर पर ही खेल रहे थे. निशा का घर ऐसा था, जहां बिल्डिंग के सभी बच्चे अपनी मनमानी और खेल-कूद किया करते थे. निशा और राहुल को बच्चों से बहुत लगाव था, ऐसा नहीं कि उनका अपना खुद का कोई बच्चा नहीं. उनका भी एक प्यारा सा बेटा था.. मोहित, लगभग बारह साल का लेकिन उसे अन्य बच्चों से कोई मतलब नहीं रहता. वो खुद में ही मगन और पढ़ाई लिखाई में बिजी रहता, वैसे भी उसकी उम्र के बराबर कोई अन्य बच्चा वहां नहीं था. बिल्डिंग में ज्यादार लड़कियां थीं, जो लगभग सात साल आठ साल के करीब, खैर, सभी बच्चे निशा आंटी को और राहुल अंकल को बहुत चाहते थे इसलिए खाली वक्त व छुट्टी के दिन इन्हीं के घर बच्चों की धमाचौकड़ी होती थी।
बच्चों के घर में होने, खेलने से निशा कभी परेशान नहीं होती, बल्कि जिसदिन बच्चे नजर नहीं आते तो उसकी निगाहे उन्हें ढूंढती।
उस दिन रविवार का दिन था। रात के करीबन आठ बज रहे होंगे सामने वाली सीमा भाभी यानी नैना की मम्मी निशा का दरबाजा खटखटाती है…..
हां ! कौन ? मैं सीमा ।
निशा- दरवाजा खोलते हुए, हां ! बोलिए सीमा भाभी।
सीमा- निशा भाभी, वो ऐसा है कि हम मूवी देखने जा रहे नैना आपके घर ही रहेगी, हम ग्यारह बजे तक आ जाएंगे
निशा- पर, भाभी! हम तो दस बजे तक सो जाते हैं क्योंकि मुझे सुबह जल्दी उठना होता है फिर…..
सीमा- झट से बोल पड़ी…. कोई नहीं ! सोने से पहले आप नैना को व्यूटी के घर भेज देना वे लोग लेट से सोते हैं तब तक हम आ जाएंगे
निशा- हामी भरते हुए बोली ओके ठीक है !
नैना थोड़ी उदास नजर आ रही थी इस पर निशा ने नैना से पूछा- बेटा आप मूवी देखने क्यों नहीं गए?
इस पर सात साल की प्यारी नैना ने जवाब दिया आंटी मम्मी पापा एडल्ट मूवी देखने गए है ऐसी मूवी बच्चे नहीं देखते।
ये सुनते ही निशा अचंभित सी हो गई !
नैना ने फिर बड़ी मासूमियत से निशा से पूछा- आंटी ये एडल्ट मूवी क्या होती है और बच्चे इसे क्यों नहीं देख सकते है?
इस सवाल से निशा सन्न सी रह गई, लेकिन पलभर में बात सम्भालते हुए उसने कहा- बेटा ऐसी मूवी में मार-पीट खून-खराबा बहुत होते हैं आप अभी छोटी हो ना, ये सब देखकर डर जाओगे इसलिए पापा मम्मी आपको अपने साथ लेकर नहीं गए……
लेकिन अंदर ही अंदर निशा समय के इस बदलाब से बहुत आहत हुई, और सोचने लगी कि आज माता-पिता बच्चों को ये कैसा परिवेश दे रहे हैं. क्या आधुनिकता का यही अर्थ है?