राजनीति

कितनी मुसीबत कितनी टीस

2019 को अलविदा कहते हुए हम सबने एक दूसरे को 2020 की शुभकामनाएं दी थी। खूब कहा था हैप्पी न्यू ईयर क्योंकि 2020 वर्ष वर्ल्ड कप 2020 का साल था, ये ओलंपिक का साल था, ये साल ढेरों चुनावों का था, इसरो का नासा के मिशंस का साल था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने वाले कदम का साल था, पर अब पौन साल बीतते बीतते पूरे विश्व में हर कोई कहेगा – हे भगवान! अब बस भी करो दो हजार बीस। पुरानी मुसीबतें ख़तम नहीं हो रही है और नई मुसीबत चालू हो जा रही है। कोरोना महामारी को देख रहे हैं, जलजला झेल रहे हैं, तूफान से जूझ रहे हैं, आग से लड़ रहे हैं, आसमान में लाचारी हो रही है, कहीं जहर घुल रहा है हवा में कहीं जहर घुल रहा है समाज में। कितना झेले इंसान, कितना लड़े इंसान, कितनी मुसीबत कितनी टीस अब बस भी करो दो हजार बीस। इक्कीसवीं सदी का दूसरा दशक जिसमें लक्ष तय किए गए थे, उम्मीदें बांधी गई थी और तैयारियां भी की गई थी लेकिन पौन साल बीतने को आया पर दुनिया में बिना इलाज वाला बेलगाम कोरोना है। संक्रमण नहीं हो रहा कम पर नई मुसीबतों ने निकाला दम। आज अगर हम भारत में 2020 मुसीबतों की बात करें तो जनवरी से ही कोरोना महामारी का आगाज़ हो गया था। होली के बाद देखते ही देखते पूरा देश 68 दिनों तक लॉकडाउन रहा। लोग घरों में ही बंधक बन गए। कोरोना महामारी ऐसा तांडव मचा रही है। वो देश जो चिकित्सीय सेवा में टॉप होने का अपने आप पर फक्र करते थे, वे आज कराह रहे हैं। दवाई की खोज के दिन रात एक कर रहे हैं। किसी ने सोचा ही नहीं था कि यह बीमारी आएगी और हम सबको लाचार कर तड़पाएगी। कोरोना महामारी का तांडव मचाया जारी ही है कि भारत के कई गावों की फसलों पर टिड्डियों ने हमला कर दिया था। कई शहरों को अपने पंखों से ढक दिया था। कई हजारों हेक्टेयर खेतों में खड़ी फसलों को तहस नहस कर दिया था। कई किसानों को टिड्डी दल ने तबाह कर दिया था। फिर अम्फान नामक तूफान आया और उसने पश्चिम बंगाल व उड़ीसा में ऐसी तबाही मचाई कि सब कुछ तहस नहस कर दिया। 100 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई। कोरोना से जूझ रहा इंसान एक एक पल की तलाश कर रहा था जान बचाने की। फिर निसर्ग तूफान ने महाराष्ट्र, गुजरात, दमन, दियू में ऐसी तबाही मचाई कि कोरोना से लड़खड़ाए महाराष्ट्र को निसर्ग ने भारी नुकसान पहुंचाया। पर नियति को जो मंजूर है वो होके ही रहता है। फिर उत्तराखंड के जंगलों में आग ने ऐसी तबाही मचाई कि सब कुछ खाक हो गया, वन्य जीवों का वहां भारी नुकसान हुआ। फिर दिल्ली में शाहीन बाग के समय भारी दंगे भड़के जिसमें कई बेगुनाह मारे गए और सामाजिक जहर बहुत बुरी तरह से फैला। फिर गैस लीक कांड हुआ उसमें भी कई बेगुनाह लोग मारे गए। आसाम में भी गैस लीक कांड हुए और आसाम में बाढ भी आई जिसमें 194230 लोग बेघर हुए। यह लेख रिपोर्ट एक प्रिंट मीडिया के आधार पर बनाया गया है। फिर दिल्ली NCR में 6 बार भूकंप के झटके आए, उसकी तीव्रता 2.5 से लेकर 4.6 तक रही। इस भूकंप से किसी बड़ी तबाही का पूर्वानुमान तो नहीं? यह लोगों के मन में जूझ रहा है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि लॉकडाउन में घर में रहे या फिर भूकंप के कारण बाहर रहें। बॉलीवुड के कुछ नामी सितारों का अचानक निधन हुआ, अब रिया चक्रवर्ती और कंगना राणावत का केस और बॉलीवुड पर ड्रग्स का मामला, लोगों में उठी टीस तो भगवान अल्लाह की और हाथ उठाकर बोले अब बस भी करो दो हजार बीस। भारतीय उद्योगपति रतन टाटा ने भी कहा है कि यह 2020 वर्ष केवल जीने के लिए है, लाभ हानि कमाने के लिए नहीं। भारत की ऐसी आर्थिक स्थिति भी शायद कभी नहीं हुई होगी। RBI ने भी ज़ीरो तक जाने की संभावना जताई है। बेरोजगारी दर भी 23.7 प्रतिशत से ऊपर ऊपर चली गई है। शेयर मार्केट BSE और निफ्टी की स्थिति के संकेत भी ठीक नहीं है। केरल में एक गर्भवती हथिनी को विस्फोटक भरा अनानास खिलाने की घटना से भी सभी आक्रोशित और बेहद दुखी हो उठे। अब बात अगर विश्व की की जाए तो 2020 जनवरी में ही ऑस्ट्रेलिया में जंगल में ऐसी आग लगी कि हजारों लाखों वन्य जीव जलकर खाक हो गए। फिर कोरोना महामारी का ऐसा कहर बरपा कि बड़े बड़े शक्तिशाली देश जो विश्व में चिकित्सा प्रणाली में अव्वल नंबर पर थे इसके आगे धाराशाई हो गए। फिर अमेरिका ईरान के तनाव में यूक्रेन के जहाज के 176 बेगुनाह लोगों की मौत इसमें हुई। घटना में ईरान ने माफी भी मांगी थी। हाल में पाकिस्तान में एक विमान अपने गंतव्य से 1 किलोमीटर पहले क्रैश हुआ जिसमें 97 लोगों की जान गई। अमेरिका कोरोना के साथ साथ दंगों की आग में भी जुलस रहा है। अश्वेत जॉर्ज की मृत्यु के मामले में ऐसा भयंकर दंगा भड़का जो अमेरिका में कभी नहीं हुआ। फिर ज्वालामुखी का भयंकर कहर बरपा। ओलंपिक, 2020 वर्ल्ड कप, एवं IPL कैंसल हुआ। चीन और भारत का विवाद गरमाया हुआ है। वैश्विक आर्थिक स्थिति की खराबी के बारे में तो किसीने सोचा भी ना होगा। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम ज़ोन उन ने 8 जून 2020 को दक्षिण कोरिया से अपने सभी रिश्ते ख़तम करने का फैसला किया। अतः अभी 2020 का पौन साल बीत रहा है। सदियों पूर्व भी ऐसी जटिल भयावह स्थिति कभी नहीं देखी, इसलिए 2020 को श्राप के रूप में माना जा रहा है। लोग सोच रहे होंगे कि कैलेंडर में 2020 का पन्ना ही फाड़कर फेंक दें। 2020 तय करके आया है कि इंसानी अस्तित्व की बुनियाद हिलाकर रख देगा। अब सभी इंसान ऊपर वाले की ओर निहार रहे हैं, करोड़ों हाथ दुआओं के लिए उठ रहे हैं – अब बस करो दो हजार बीस अब बस करो।

— किशन भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया