क्या स्मृति अमर होती है ?
एक जानकारी के मुताबिक पलक झपकने से तीन गुना तेज याद आती है घटनाएँ के बारे में पढ़ा| स्मृतियाँ सिमेटिक -भाषा के तथ्य समझने पर व एपिसोडिक – व्यक्ति विशेष के लिए खास महत्व रखती है ।रटंत क्रिया से भी याददाश्त मजबूत होती है।चिंतनीय प्रश्न यह उठता है कि क्या इंसान के मरने के बाद स्मृतियाँ अमर होती है ?पुनर्जन्म के उदाहरण में तो स्मृतियाँ पहचान का आधार बनाती कई घटनाएँ पढ़ने,सुनने में आती रही है ।कई लोगों को पिछले जन्म की घटनाएं याद रहती है | छोटी उम्र में पुनर्जन्म की बातें ज्यादा याद रहती | फिर बड़े होने पर कम हो जाती है |पुनर्जन्म पर कई फ़िल्में, सीरियल भी बने है | आज भी कई बच्चे ऐसे जिनकी जनरल नॉलेज की मेमोरी बहुत ही तगड़ी है और इसी प्रतिभा के कारण गिनीज बुक रिकार्ड में भी उनका उल्लेख है |ज्योतिष और विज्ञान भी स्मृति अमर और शरीर ख़त्म होने की बात कहता है |पुनर्जन्म में मेमोरी ट्रांसफर भी शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश होती होगी | इसी प्रकार से मनुष्य के शरीर में हवा लगना यानि भूत,प्रेत चुड़ैल आदि का लगना जिसको ओझा ,जानकार द्धारा उतारा भी जाता है | कोई इसी मानसिक रोग मानता है किंतु बाधा पीड़ित इंसान की बाधा होने से बोली भी बदल जाती है| जिसे उसे कभी भी पढ़ी ,बोली, सुनी नहीं होती है | ऐसे कई उदहारण देखने को मिले है |दाह संस्कार के समय कपाल क्रिया किये जाने के प्रति क्या धारणा के पीछे क्या पुनर्जन्म ,मैमोरी का रहता है ? ये अभी तक विस्तृत रूप से मालूम नहीं है |प्राचीन ग्रंथों ,पुराणों में अमरता प्राप्त का उदाहरण भी पढ़ने को मिलते है | मस्तिष्क की क्रियाओं -प्रतिक्रियाओं के गूढ़ रहस्य को सुलझाने में और भी शोध की आवश्यकता है।ताकि पुनर्जन्म से स्मृति कैसे अमर बनी रहती ज्ञात हो सके |