भाँति-भाँति के प्रसंग
आरटीआई मार्फ़त केंद्र और सभी राज्यों को 22,000 सूचनावेदन भेजकर हज़ारों जनोपयोगी सूचनाएं एकत्र किया- एक्सप्रेस ट्रेन के आरक्षित बोगी से कष्टदायक ‘साइड मिडिल बर्थ’ हटाया, रेलयात्रियों को चलती ट्रेन में टिकट की व्यवस्था होगी, बीपीएससी ने परीक्षार्थियों को करोड़ो रुपए के डाकटिकटों को वापस किया, बिहार में ‘प्रिंटेड रजिष्टर ‘ से लाखों शिक्षकों की फ्रेश-नियुक्ति, यूजीसी ने नेट परीक्षा के रैंक जारी किए – इत्यादि सहित आप केंद्रीय सूचना आयोग, सभी राज्य सूचना आयोगों में ‘वाद’ जीतनेवाले एकमात्र अपीलकर्ता हैं ।
मेरा बाप चोर है, क्या आपके भी ? बन्धु ! प्रधानमंत्री को चोर क्यों कहते हो ? किसी भी राष्ट्र के बाप व अभिभावक प्रधानमंत्री होते हैं! हिंदी फिल्म ‘दीवार’ फिर एकबार देख तो लो ! जिस दिन आपने उसे प्रतिनिधि बनाया, उस दिन से ‘हम भारत के लोगों’ के वे (प्रधानमंत्री) वैश्विक प्रतिनिधि हो गए है।
संविधान के अनुसार, आपने 5 वर्षों के लिए अन्यत्र अपनी बात रखने के लिए उन्हें ही चुना। अगर आपको अपना प्रतिनिधि अच्छा नहीं लगता है, तो संविधान ने आपको लोकसभा चुनाव में उन्हें हटाने का अवसर प्रदान किया है ! ‘बाप’ से तात्पर्य माँ के साथ सिर्फ लैंगिक प्रजनन के बाद ही उत्पन्न संतान द्वारा सिर्फ पिता संबोधित करनेवाला ‘शब्द’ से ही नहीं है !
दुनिया के हर व्यक्ति के अंदर ‘शिक्षक व शिक्षिका’ और ‘अभिनेता व अभिनेत्री’ बनने की क्षमता होती हैं !