पिंड छूटे या फूटे !
बिजली रानी फिर रूठ गई है, तीन-चार दिनों से बात नहीं कर रही है ।
आज तो हद हो गई, 13-14 घंटे हो गए, नहीं आई है । चाहे, नवाबगंज या डालाबीर में ग्रिड बने या लेनिन ग्राद ! यह बिजली रानी रूठी ही रहेगी !
जिनके मोटर से पानी टंकी में चढ़ते हैं, बिजली नहीं रहने के कारण पानी टंकी में चढ़ नहीं पाती और शौच के लिए बैठे व्यक्ति के बगैर धोये ही उठ जाना पड़ता है।
वह बिजली है, वह न दया को जानती है, न माया को ! अब तो तलाक भी आसान नहीं, जो कि बिजली रानी से पिंड छूटे !
कोरोनाकाल के कारण गया जी में इसबार पिंडदान शुरू नहीं हुई, ऑनलाइन शुरू हुई थी, पर पंडा जी ने बंद करा दिए !
तो, पिंड नहीं छोड़ रही, तो पिंडदान ही सही !
आओ रानी ! मैं तेरा राजा नहीं रहा ! सेवक ही बना लो, तोहार सबके सब परिधान को धोते जाऊंगा, तेरी छुटकी बहन की कसम !