कहानी

गाँधी गिरी

राजू एक नवी कक्षा का छात्र है और अपने घर के पास ही एक सरकारी स्कूल में पढ़ता है। राजू बचपन से ही पढ़ने बहुत होशियार विद्यार्थी है। लेकिन उसके दिमाग की सारी अच्छाइयां उसके गणित के अध्यापक के सामने खत्म हो जाती हैं। वह लगातार अपने गणित के अध्यापक के हाथों डांट खाता रहता है और कक्षा से बाहर किया जाता रहता है।राजू इस बात से बहुत ही दुखी था।क्योंकि अपनी तरफ से तो वह सभी सवालों का सही जवाब देता है। लेकिन ना जाने क्यों गुरुजी लगातार उसे डांटते रहते है और कक्षा से बाहर निकालते रहते हैं।

गाजियाबाद के सरकारी स्कूल मैं पढ़ रहा राजू बड़ी ही मेहनत से अपनी पढ़ाई कर रहा था। क्योंकि उसे पता था कि वह अपने गरीब मां-बाप का भविष्य पढ़कर ही सुधार सकता है। 2 अक्टूबर आने वाली थी यानी कि हमारे प्यारे बापू (महात्मा गाँधी) का जन्म जिस दिन हुआ था। आज रात राजू कुछ ज्यादा ही परेशान था। रात को परेशान होते-होते राजू ने महात्मा गांधी जी की तस्वीर, जो कि उसके घर की दीवार पर टंगी हुई थी।उसने बापू के हाथ जोड़े और प्रार्थना की, बापू मुझे अपने गणित के अध्यापक की डाट खाने से बचा लो। उसके बाद वो सो गया।

राजू को अभी नींद नही आयी थी कि उसने देखा,अचानक तस्वीर से निकलकर बापू राजू के सामने खड़े हो गए।उन्होंने राजू की समस्या का बड़े ही ध्यान से सुना और राजू से पूछा कि आखिर क्या वजह है,वह अध्यापक उसी को इतना डांटते है।राजू ने बताया कि वह सारे सवालों का सही जवाब देता है।किंतु उसके गणित के अध्यापक सबके सामने उसका मजाक उड़ाकर कक्षा से निकाल देते है और सभी छात्र भी उसका मजाक उड़ाते है।

सब बातों को सुनकर गांधी जी ने उसे एक उपाय बताया ।बेटा राजू,तुम रोज अपने अध्यापक के पास जाओ और उन्हें हाथ जोड़कर नमस्ते करके, बिना उनसे डांट खाए, अपनी गणित की कॉपी उन्हें देकर खुद ही मुस्कुराते हुए कक्षा के बाहर आकर खड़े हो जाओ और उन्हें ये जरूर बता देना कि आप तो मुझे कुछ देर बाद निकाल ही दोगे। देखना इस बात से उनके ऊपर बहुत असर पड़ेगा और वह तुम्हें कक्षा के अंदर लेकर सही तरीके से पढ़ाने लगेंगे और तुम्हारी समस्या का समाधान हो जाएगा।

राजू को उनका ये उपाय बहुत अच्छा लगा।अगले ही दिन वह कक्षा में पहुँचा और जैसे ही गणित के अध्यापक आए।उसने उनसे हाथ जोड़कर नमस्ते की और कहा सर थोड़ी देर में तो आप मुझे डांटकर कक्षा से निकालने वाले हैं।मैं खुद ही कक्षा से बाहर जाकर खड़ा हो जाता हूँ और वह कक्षा से बाहर जाकर खड़ा हो गया। यह घटनाक्रम लगातार पांच दिन चलता रहे लेकिन गणित के अध्यापक पर कोई भी असर नहीं पड़ा। बल्कि वह हंसते हुए उसके सामने से रोज निकल जाते हैं। राजू बहुत ही परेशान था।

कल 2 अक्टूबर है। उसने एक बार फिर बापू से पूछा, बापू-अध्यापक के ऊपर तो कोई भी असर नहीं हो रहा है। मैं क्या करूं, तब बाबू ने कहा बेटा कल तुम मेरी फोटो को लेकर जाना और यह घटना दोबारा से दोहराना। उन्हें गणित की कॉपी के साथ मेरी तस्वीर भी जरूर दे देना।अगले दिन राजू ने फिर उसी घटना को दोहरा दिया। इस बार गणित के अध्यापक को हाथ जोड़कर नमस्ते कर, उसने बापू की तस्वीर भी उनको दे दी और कक्षा से बाहर आकर खड़ा हो गया।

लेकिन आज गणित की कक्षा समाप्त होने के बाद गणित के अध्यापक ने राजू को निराश नहीं होने दिया। उन्होंने राजू को दो 500 रुपये के नोट दिखाये। जिस पर महात्मा गांधी जी का फोटो छपा हुआ था। उन्होंने राजू को बताया बेटा कक्षा के लगभग सभी विद्यार्थी मुझसे ट्यूशन लेते हैं जिससे कि वह पास होकर अगली कक्षा में पहुंच जाएंगे। तुम ही हो,जो मुझसे ट्यूशन नहीं पढ़ते। बेटा मेरी बात समझने की कोशिश करना, बापू की बात तो आज भी सारी सही है। लेकिन जो तस्वीर तुम्हारे हाथ में है और जो तस्वीर मेरे हाथ में इस नोट पर है। उस तस्वीर वाले रुपयों से मुझसे ट्यूशन लो और देखना तुम्हे मैं फिर कभी कक्षा से नही निकलूंगा।

राजू खुशी-खुशी अपने घर पहुँचा। शाम को फिर बापू की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर बापू से बोला, आखिर आपकी तस्वीर ने मुझे आज बचा ही लिया।अब मैं समझ गया हूँ कि मुझे आगे क्या करना है। बापू ने कहा, देखा मैंने तो कहा ही था सब कुछ ठीक हो जाएगा। फिर महात्मा गांधी जी ने भी अचंभित होकर सारी घटना को सुना।

बापू ने सारी घटना सुनकर यही निष्कर्ष निकाला कि शायद आज उनकी बातों को और उन्हें लोगो ने इसीलिए नही भुलाया,क्योंकि उनकी तस्वीर एक ऐसे कागज पर मौजूद है।जिसकी जरूरत जीवन की दिनचर्या चलाने के लिए बार-बार पड़ती है।वरना लोग शायद उन्हें कब का भूल जाते। बापू निराश होकर भारी मन के साथ वापस तस्वीर में चले गए।

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- [email protected] एवं [email protected] ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)