गीत/नवगीत

गीत

रिश्तों नातो के ढंग कमजोर से, टूट जाते हैं खींचे हम जोर से.
पड़ी हैं इनमे मतलब की गांठे,अब खुलती नहीं ये प्रीति डोर से.
पहले तो हममें शराफ़त थी, अब तो कामयाब से और हो गए,
इसीलिए हमसे दूर होकर से , मन में भरे प्रश्न ले भीति हो गए.
जब तक उनको हां करता था, तब तक उनका बच्चा लगता था,
अब कम मिलने की आदत से, दंग व्यबहार से रीती हो गए.
अब मन का राज़ भी नहीं बताता,इसलिए खफा हिमायती हो गए.
अपनों से लड़ने से पहले खुद से रूठों,तभी दूरी मजबूरी में हो गए
चाहे पाए चाहे खोये हर बात उनकी से , व्यग्य बलवती लौ हो गए.
मन में मोह तब नहीं रहता फिर शेष , अपने में अज़नबी हो गए
दूर की दुआ प्रणाम तक सिमित हो , झूठी हंसी लेकर नाती हो गए.

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]