सामाजिक

प्रतिबंध जरूरी

आजकल बहुत बार देखने को मिल जाता है कि सोशल मीडिया पर धार्मिक, कट्टरवाद, साम्प्रदायिकता, जातिवाद और राष्ट्र विरोधी पोस्ट देखने को मिल जाती हैं।सोशल मीडिया के त्वरित प्रसार को देखते हुए जहाँ आवश्यक, ज्ञानवर्धक,संदेशात्मक, रचनात्मक सूचनाएं मील का पत्थर बन रही हैं,वहीं कुछ असामाजिक, शरारती और राष्ट्र विरोधी तत्व इसका दुरूपयोग करने से भी नहीं चूक रहे हैं।जिसका दुष्परिणाम भी आये दिन देखने को मिलता ही रहता है।जिससे न केवल माहौल खराब होता है बल्कि जन धन की हानि भी होती है।
सरकार को चाहिए कि वह सोशल मीडिया पर ऐसी खबरों पर न केवल रोक लगाने के उपाय करे,बल्कि कड़े कानून भी बनाये और दुरुपयोग करने वाले हर शख्स ,संगठन को सख्त सजा का प्रावधान करे।इसके लिए शासन प्रशासन को बिना भेदभाव और हीलाहवाली के कदम भी उठाए जाने की भी जरूरत है।लचर कानून और दबावों,प्रभावों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने का उचित समय यही है।किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति, संगठन या दल को इससे बचने का मार्ग नहीं मिलना चाहिए।
अन्यथा समय के साथ इसे भी नासूर बनने से नहीं रोका जा सकता।ऐसी पोस्टों का प्रसार व्यक्ति, क्षेत्र, समाज और राष्ट्र के लिए कलंक से कम नहीं है।जहाँ कुछ लोगों के क्षुद्र स्वार्थवश समाज और राष्ट्र में ,अस्थिरता,अराजकता, जन धन हानि और राष्ट्र को असहज और अपमानजनक हालात की ओर धकेलने का षड्यंत्र किया जाय। इसकी छूट किसी भी स्थिति में अब उचित नहीं है।इस पर मौन तोड़ना अब अत्यंत आवश्यक है।
इसलिए अब येनकेन प्रकारेण ऐसी पोस्टों से सोशल मीडिया को मुक्त रखने की दिशा में आगे बढ़ना और रोक लगाना अनिवार्य है।
◆ सुधीर श्रीवास्तव

*सुधीर श्रीवास्तव

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