बिजली संक्रांति
इसबार के चुनाव में हार-जीत का एक मुद्दा ‘बिजली-संक्रांति’ से जुड़ी अवश्य रहेंगी !
सरकार लाख कहे, सभी गाँवों को बिजली दे दी गई है, किन्तु मेरे गाँव में आज तो लगातार 13 घण्टे से बिजली नहीं है ! यह 13 क्या तेरहवीं तक जाएगी ? अब भी चेतिये, श्रीमान !
हम न अमेरिका हैं, न अम्बानी ! दुःखी बिहारी-भारतीय हैं!
जब ‘अफगानिस्तान’ से भी मैच ‘टाई’ हो सकती है, तो फिर हम चुनाव-पूर्व किसी के भी जीत की भविष्यवाणी कैसे कर सकते हैं !
‘पति’ बनने से अच्छा, मित्र बनना उचित है। ‘पति’ शब्द से अहंकारबोध होता है, चाहे करोड़पति हो, लखपति हो, निशा-पति हो, कोई आपत्ति हो या राष्ट्रपति ही क्यों ना हो?