लक्ष्य
लक्ष्य थोड़ा बडा था मगर, हम विजयी हुए।
झुक गए, पर्वत सागर, हम विजयी हुए।
दिशा दिशा महक रही है,हवा हुई बावरी,
आशादीप जले घर घर, हम विजयी हुए।
नाचो और गाओ,बरसों की साधना पूरी हुई,
झूम रहे धरती अंबर,हम विजयी हुए।
बूंद बूंद सागर बने के राई राई पर्वत,
अपनी एकता के बल पर, हम विजयी हुए।
चाँद था रूठा के हर रात थी अमावस जैसी,
मुस्कुराई है अब सहर,हम विजयी हुए।
— ओमप्रकाश बिन्जवे “राजसागर”