गीत/नवगीत

दीवाना

तेरे बिन लागे ना मन मेंरा दीवाना हो गया।
ख़्वाहिश में तेरी बावरा मस्ताना हो गया।

सुनता नहीं कीसी की कैसे इसे संभालें
ऐसी लगन लगी है कुछ भी न देखे भाले
चाहत में तेरी दुनियां से अंजाना हो गया।
ख्वाहिश में तेरी बावरा मस्ताना हो गया।

तेरी तलाश में भटक २हा जनम जनम
फिर भी न हो पाया कहीं दीदार-ए-सनम
आंखें भर आई मौसम सुहाना हो गया।
ख्वाहिश में तेरी बावरा मस्ताना हो गया।

आ सांवरे सलोने तुझे ऐसे मैं सजाऊं,
कंगन तुझे चढ़ाके अपना मैं बनाऊँ,
लौ प्यार की जला के परवाना हो गया ।
ख्वाहिश में तेरी बावरा मस्ताना हो गया।

— पुष्पा “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है