कविता
पेड़ पौधे तृण घास निराले
लगे उपवन में छवि निराले
बाग बगीचे शीतल छईया
सब मधुबन की कोमल कालियां
प्रात: सूर्य की आभा देखो
सारे कालियां मुस्काने भरती
पशु पक्षी सब है मस्ताने
झूम झूम खूब कलरव करतेआज
मधुबन भीतर सखियां मिलकर
झूला झूले रेशम डाली
है मधुबन भीतर सब खेल
मौसम भी खूब जमाए रंग
मन्द मन्द शीतल रैन बहत है
लिए मुस्कान चहुं ओर पवन ने।
— विजया लक्ष्मी