घर से बाहर हुए हम
मास्क और दूरी,
अब भी जरूरी !
चाहे रिश्ते में कोई हो,
अन्यथा रोई हो,
खोई हो !
पत्रकार का मतलब
सिर्फ सवाल उठाना नहीं !
जनसरोकार से
जुड़े रहना भी है !
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आधी जुलाई खत्म हो गयी,
किन्तु ‘अनुभव’ अबतक अप्राप्त है !
अनुभव कबतक होगी ?
अपने-अपने स्वादानुसार !
आशा है, अपेक्षा है,
आप स्वस्थ और सुरक्षित होंगे !
विवेक, बुद्धि और कौशल लिए
संरक्षित और अखंडित होंगे !
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योग और घटाव के बाद भी
उनमें चतुरंग नहीं दिखा !
सिर्फ पुरापंथी लिए
शास्त्रीय के प्रासंगिक
गति कायम रही,
गतिविधि कायम रही !
यह गतिविधि ही
उस शख्स को महान बनाए !
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उनकी पीड़ा से अवगत कराइये,
उन्हें नए सिरे से स्वगत कराइये !
प्रकट कुछ भी नहीं !
है जो भी,
उसे अरिहंत कीजिए,
सुखाय स्वांत के स्वत:
है परिधित: !
प्रासंगिक और अप्रासंगिक !
यानी किक और गिक !
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बिहार बोर्ड में
इंटर में संस्कृत है कहाँ ?
शिक्षक भी नहीं !
हम दूसरे बोर्ड की बात
क्यों करें, मोहतरम !
यह गलत है,
जिनकी रोटी खाते हैं,
उनके साथ धोखा तो नहीं !