न जाने क्यों
न जाने क्यों
खो सा गया है कही
मेरा मन।
न जाने क्यों
मिट्टी सा हो गया है
मेरा तन।
न जाने क्यों
टूट गया है,
उनकी याद में
ह्रदय का हर एक कण।
न जाने क्यों
बिखर गए है,
हर ख्वाब मेरे
फिक्र में उनकी हरदम।
— राजीव डोगरा ‘विमल’
न जाने क्यों
खो सा गया है कही
मेरा मन।
न जाने क्यों
मिट्टी सा हो गया है
मेरा तन।
न जाने क्यों
टूट गया है,
उनकी याद में
ह्रदय का हर एक कण।
न जाने क्यों
बिखर गए है,
हर ख्वाब मेरे
फिक्र में उनकी हरदम।
— राजीव डोगरा ‘विमल’