कविता

न जाने क्यों

न जाने क्यों
खो सा गया है कही
मेरा मन।

न जाने क्यों
मिट्टी सा हो गया है
मेरा तन।

न जाने क्यों
टूट गया है,
उनकी याद में
ह्रदय का हर एक कण।

न जाने क्यों
बिखर गए है,
हर ख्वाब मेरे
फिक्र में उनकी हरदम।

— राजीव डोगरा ‘विमल’

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233