सामाजिक

ठेस से मनमानी तक

रेडियो नाटक ‘ठेस’ सुन रहा हूँ…… कहानी तो पढ़ा ही था ! रेणु जी की कहानी ‘ठेस’ पर आधारित है । ठेस ने सिरचन जैसे स्वाभिमानी कलाकार को जन्म दिया है । हाँ, सिरचन चिक, सीतलपाती आदि बनाते हैं! वह पैसे के लिए काम नहीं करता है, वह प्रेम और खाने के लिए कार्य करता है।

वह मुँहजोर है, पर कामचोर नहीं!
किन्तु हरकोई सिरचन के स्वाभिमानी कृत्य को जानते हुए भी उन्हें आखिर में ‘ठेस’ पहुंचा ही देता है! मानू की विदाई से पहले ही…..
जय सिरचन, जय रेणु !

जब से महिलाओं को 50% आरक्षण मिला है, पुरुषों की दबंगई घटी है । यह महिलाओं के सामाजिक स्तर में सुधार के लिए सर्वोत्तम पहल है ।
लेकिन इससे उनमें धीरे-धीरे मनमानी भी गृहीत करते जा रही है!
क्या इसे रोकने के लिए और पुरुषों की बात सुने जाने के लिए सरकारी तौर पर राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर ‘पुरुष आयोग’ गठित होंगे ?
क्योंकि किसी भी पक्ष के प्रति प्रताड़ना मानवाधिकार का प्रत्यक्ष उल्लंघन है!

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.