पता न चला!
हम साथ खेलते-खेलते
कब बड़े हो गए, पता न चला,
हम लड़ते झगड़ते
कब समझदार बन गए, पता न चला,
और हम हँसते- हँसते
जीवन के प्रति कब गंभीर हो गए, पता न चला!
जीवन के हर संघर्ष में
तुमने साथ दिया,
हर अभाव को अपनी मुस्कुराहट
से दूर भगा दिया,
इस संसार के चक्रव्यूह में
तुम मुझसे कितनी दूर चले गए, पता न चला!
हम एक दूसरे की ख्वाहिशों
को पूरा करते,
हम एक दूसरे खुशी के लिए
कुछ भी करते,
बीतते समय के साथ
कब हमारे सपने बदल गए, पता न चला!
हम दोनों ही तो थे
एक दूसरे की ताक़त,
हम दोनों ही तो थे
एक दूसरे की हिम्मत,
हम कब अपनी- अपनी
मन्ज़िलों की तरफ बढ़ गए, पता न चला!