बाल कविता

बाल गीत: आपके-हमारे- 9

1.नन्ही पौध
एक विशाल वृक्ष की मैंSmall Little Plant In Woman's Hand Stock Photo, Picture And Royalty Free  Image. Image 9540846.
नन्ही-सी हूं इक पौध आज,
कल मुझको बड़ा होना है,
आओ, धीमे जल बरसाओ,
अग जग को हर्षाना है.
मिट्टी में तुम खाद मिलाकर,
उपजाऊ उसे बना लेना,
सूरज से ऊर्जा ले कर फिर,
पाकर जल, ग्रहण कर खाद,
मैं भी बड़ा हो जाऊंगा,
डाल-डाल और पात-पात को,
सुंदरता से सजा दूंगा.
फल दूंगा मैं मीठे-मीठे,
बसेरा बनूँगा परिंदों का,
डाल के मेरे नीचे डेरा.
ठंडी छाया पा थके पथिक भी,
कण-कण अर्पित सेवा में कर,
डटा रहूँगा आंधी-तूफां में,
तुम रक्षक मेरे बन जाना,
साथ रहूंगा हर विपदा में.
प्रिय मित्र तुम बनना मेरे,
कुल्हाड़ी से न करना प्रहार,
सूरज-चंदा-तारों के सम,
मिलकर रहें, करें हम प्यार.
-चंचल जैन

2.पतंग
रंगरंगीली, छुईमुई-सीprayagraj police: लॉकडाउन में नहीं उड़ा पाएंगे पतंग, प्रयागराज पुलिस ने  लगाया प्रतिबंध - kite flying banned during lockdown in prayagraj |  Navbharat Times
देखो कितनी प्यारी पतंग
स्नेह-डोर से जुड़ी है हम से
ऊंची-ऊंची उड़ती पतंग
बादलों से बतियाती पतंग,
झूमती, इतराती, बल खाती पतंग,
नभ को छूने चली ‌पतंग.
पेंच लड़ेगा, कट जाऊंगी
कट-फट कर अटक जाऊंगी.
छोटा-सा हैं मेरा जीवन,
आनंद-लहरी छितराऊंगी
छोटों-बड़ों का दिल बहलाऊंगी
बच्चो, तुम भी खुश रहना
जीवन का आनंद लेना
ऊंची ऊड़ान भर लेना तुम
अपनों से पर जुड़े ही रहना
गुणवंत, कुशल, ज्ञानी बन
जग-फुलवारी महकाते रहना.
-चंचल जैन

3.रंगोली (बाल गीत)Chhoti Diwali 2019 Rangoli Designs: आकर्षक रंगोली बनाकर सेलिब्रेट करें छोटी दिवाली, वीडियो में देखें दीया रंगोली के लेटेस्ट डिजाइन बनाने के आसान टिप्स ...
हमने रंगोली से सीखा है,
खुद सज करके सब को सजाना,
लक्ष्य बनाया है जीवन का,
चमक-चमक जग को चमकाना.
यदि न होते रंग सजीले,
इस दुनिया में हमारी,
सोचो कैसी बेरंग होती,
धरती प्यारी प्यारी!
-लीला तिवानी

4.मिलकर ऐसी करें पढ़ाईसाक्षरता दिवस

मिलकर ऐसी करें पढ़ाई,
सबका मन ललचाता जाए,
फिर कुछ करेंगे जग की खातिर,
सबका घर रोशन हो जाए.
दे कोई ऐसा ज्ञान हमें भी,
मन की गांठें खुलती जाएँ,
जिज्ञासा हो शांत सभी की,
भीतर का तम मिटता जाए.
-लीला तिवानी

1.मुक्ति ने मुझे पुकारा है
सेवा-निवृत्ति के पल (30.09.2006) पर आठ पंक्तियां, जो बहुत लोकप्रिय हुईं-

कभी फूलों ने आघात दिए, कभी ख़ारों ने है हर्षाया।,
इसी तरह ज़माने में हमने, कभी कुछ खोया कभी कुछ पाया.
कभी महफिल ने दी तनहाई, कभी तनहाई ने बहलाया,
ऐसे ही बरसों बीत गए, सेवा-निवृत्ति का पल आया.
यह पल भी कितना सुन्दर है, प्यारा है कितना न्यारा है,
इस पल के आनंद की खातिर, नैनों ने कितना निहारा है.
अब जीवट से इसे जीना है, मुक्ति ने मुझे पुकारा है,
मुक्ति की मौजों के सागर में, पाना सही किनारा है.
-लीला तिवानी
सेवा-निवृत्ति के पल (30 सितम्बर 2006) आत्म-कथ्य-लीला तिवानी

14 वर्ष पहले आज के दिन 30 सितम्बर 2006 को हम सेवा-निवृत्त हुए थे.

 

2.नव प्रकाश की झिलमिल बेला
नये साल पर आठ पंक्तियां, जो बहुत लोकप्रिय हुईं-

नव प्रकाश की झिलमिल बेला,
झांक रही है बादल से,
फैलेगा अब स्वप्न सुनहरी,
भारत मां के आंचल से.
मंगलमय हो, शुभकारी हो,
सोने-से दिन, निशा रुपहली,
नवल स्नेह से बुला रही है,
चमक-गमकमय किरण सुनहरी.
-लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “बाल गीत: आपके-हमारे- 9

  • लीला तिवानी

    14 वर्ष पहले आज के दिन 30 सितम्बर 2006 को हम सेवा-निवृत्त हुए थे.

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