गीत- तुम पर तन मन हारा है
जीवन का रंगरास तुम्हीं से ,
तुम पर तन मन हारा है ।
सरल, सजल हृदय पर तेरे
न्यौछावर जग सारा है ।।
मेरे जीवन की कविता तुम
तुमसे मेरी कहानी है ।
जो कुछ भी है तुम हो बाकि
दुनिया आनी जानी है ।
बांधकर नैनो को नैनो से
बांधा है तुमसे नाता ।
दिल को आती धड़कन तुमसे
सांसों में है सांस आता ।।
इन सांसों के धुन पर बजता
प्रेम गीत ये प्यारा है ।
सरल सजल हृदय पर तेरे
न्यौछावर जग सारा है।।
नीलगगन में उड़ता मन मेरा
पल भर भी ना धीर धरे।
चांद सितारे आ आकर ज्यूँ
खुद दामन में मेरे गिरे ।।
संग लिए तुम्हे बावरी मैं
फिरती रहूँ इतराती सी।
राह से तेरे तम को हटाने
जल जाऊं मैं बाती सी ।।
कोमल भाव में बंध कर मेरा
मन-मधुप गया मारा है ।
सरल, सजल ह्रदय पर तेरे
न्यौछावर जग सारा है।।
— साधना सिंह