कविता

ज़िन्दगी…

ज़िन्दगी में हार-जीत का आम अफसाना है।
कभी दर्द कभी खुशियों का मिलता खजाना है।

हम सोचते रहते हैं ज्यादा काम कम करते है
यही से शुरू होता ज़िन्दगी समझने का तराना है।

रिश्तों में कड़वाहट कभी मिश्री सी घुलती बातें हैं,
रोना कभी हंसना बस यही रहता ताना-बाना है।

पहले हम ही क्यों मनाएं गलती उसकी ज्यादा थी,
रिश्तों में किससे जीतना क्या अपनों को हराना है।

समझ जाएं जो छोटी-छोटी बातें ज़िन्दगी हम अगर,
इस जहां में हर ओर नज़र आएगा मौसम सुहाना है।

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |