गीतिका
आजाद हिन्द फौज की धड़कन तुम्हीं तो थे
हिन्दोस्ताँ के भाल का चन्दन तुम्हीं तो थे
जलती मशाल या कि किसी क्रान्ति की मिसाल
या फिर किसी शहीद का वन्दन तुम्हीं तो थे
टपका किये लहू की तरह आँख-आँख से
माँ भारती की श्वाँस का क्रन्दन तुम्हीं तो थे
होते ही साँझ यूँ छिपा निकला न भोर तक
सूरज सा जी रहा था जो जीवन तुम्हीं तो थे
सौ वर्ष बाद शान्त मिला बचपना तुम्हें
आजाद हिन्द का मगर बचपन तुम्हीं तो थे
— देवकी नन्दन ‘शान्त’